जयपुर। Agnipath Scheme : भारतीय सेना में शामिल हुए अग्निवीरों के लिए खुशखबरी है कि मोदी सरकार जल्द ही उन्हें परमानेंट भर्ती का बड़ा तोहफा दे सकती है। दरअसल, खबर है कि इंडियन आर्मी की अग्निपथ योजना में बड़ा बदलाव हो रहा है जिसके तहत इनमें से 25% को पक्की जगह देने के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है कि एक सर्वे में ये बात सामने आई आई थी कि सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही पक्की जगह देने की वजह से वो आपस में एक-दूसरे को सहयोग नहीं करेंगे। इसी से बचने के लिए अब मोदी सरकार इस दायरे को बढ़ाने जा रही है।
भारतीय सेना में अग्निपथ योजना को लेकर अभी चर्चा है कि इसमें बड़े बदलाव हो सकते हैं। इसके तहत अग्निवीरों के रिटेंशन परसेंट को 25 प्रतिशत से बढ़ाया जा सकता है। इतना ही नहीं बल्कि उनके प्रशिक्षण की अवधि भी बढ़ेगी। हाल ही में भारत की थल, जल और वायु सेनाओं में एक सर्वे किया गया था जिसमें इस स्कीम पर फ़ीडबैक सामने आया है। इस फीडबैक के अनुसार जल्द ही अग्निवीरों के रिटेंशन प्रतिशत को बढ़ाने को लेकर सरकार को औपचारिक सिफ़ारिशें दी जा सकती हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की तीनों सेनाओं से जो फीडबैक सामने आया है उसमें यह बात सामने आई है कि अग्निवीरों के बीच सामंजस्य और सौहार्द की कमी देखी गई हे। उनके एक तरह की प्रतिस्पर्धा है जिसके तहत वो एक दूसरे का सहयोग नहीं करने के साथ ही आपस में घुल-मिल कर नहीं रहते।
अब खबरें है कि भारतीय सेनाओं में अग्निवरों का रिटेंशन प्रतिशत 25 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जा सकता है। वहीं, सेनाओं के विशेष बलों सहित तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए लगभग 75 फीसदी किया जा सकता है। सेना के मुताबिक इसके पीछे का लक्ष्य अग्निवीरों में एक-दूसरे को साथ लेकर चलने की इच्छा समेत आपसी भाईचारा बढ़ाना है।
आपको बता दें कि तीनों भारतीय सेनाओं में अग्निपथ स्कीम की घोषणा से पहले अग्निवीर सैनिकों के लिए प्रशिक्षण अवधि 37 से 42 सप्ताह के बीच रखी गई थी। लेकिन, अग्निवीरों के लिए इस ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 हफ़्ते करने की वजह से उनकी ट्रेनिंग पर सही असर नहीं पड़ रहा है। यदि प्रशिक्षण अवधि बढ़ाई जाती है तो अग्निवीर सैनिक ESM के लिए लागू लाभों के लिए भी पात्र होंगे और पेंशन योग्य सेवा का हिस्सा भी बन जाएंगे।
फिलहाल, जिन सुझावों को लेकर चर्चा हो रही है उनमें अर्धसैनिक बलों में शुरू करने की बजाए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लैट्रल एंट्री के लिए भी कहा जा रहा है। फ़िज़िकल फ़िटनेस मानकों के अनुसार अग्निवीर सैनिक इस मामले में फिट हैं और पढ़ाई भी करना चाहते हैं। इसमें यह सामने आया है कि उनका ध्यान ट्रेनिंग की अपेक्षा रिटेंशन टेस्ट पर अधिक रहता है।
गौरतलब है कि भारतीय सेनाओं में जून 2022 में अग्निपथ योजना शुरू की गई थी जिसके पीछे का मकसद 4 साल के लिए सशस्त्र बलों में सैनिकों, वायुसैनिकों और नौसैनिकों की भर्ती करना था, परंतु स्थायी तौर पर नहीं। 4 साल पूरे हो जाने के बाद सलेक्ट हुए अग्निवीरों में से 25% को करने का प्रावधान किया गया था। अब रेगुलर सेवा में नियुक्त सैनिक और अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक के बीच सबसे बड़ा अंतर ये होता है कि रेगुलर सैनिक को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन मिलती है, जबकि अग्निवीर सैनिक को पेंशन लाभ नहीं दिया जाता।
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