Alvida Ramzan Shayari : अलविदा की घड़ी आ गई देखो माहे रमजान जा रहा। माहे रमजान की आखिरी लैलतुल कद्र भी हो चुकी हैं। लैलतुल कद्र की ये रात हजारों महीनों से अफजल थी। आज रमजान का तीसवां रोजा है। मतलब आज शाम को ईद का चांद नजर आ जाएगा। हम आपको अलविदा माहे रमजान की दर्दभरी शायरी (Alvida Ramzan Shayari) हिंदी में पेश कर रहे हैं। जिन्हें आप यारों रिश्तेदारों को शेयर करके रमजान के जाने का ग़म हल्का कर सकते हैं। ईद का चांद 10 अप्रैल 2024 को नजर आ सकता है। आखिरी रमजान के मौके पर पेश है हमारे शायर इरफान की सियाह रातों में लिखी कुछ Alvida Ramzan Shayari –
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अलविदा माहे रमजान देखो जा रहा,
दिल ये मेरा दर्द से यूं छटपटा रहा।
क्या पता अगली साल मिले न मिले,
यही सोचकर दिल मेरा बैठा जा रहा।।
“अलवदा अलवदा माहे रमज़ान”
रुख़्सत की वो घड़ी करीब आ रही है,
ऐसा लग रहा मानो जिंदगी जा रही है।
रमजान की याद तो बहुत आएगी मोमिनों,
अलविदा की रस्म ये एहसास करा रही है।।
“अलवदा अलवदा माहे रमज़ान”
जिस्म से जान जुदा हो तो कैसा लगता है,
आखिरी रमजान को बिल्कुल वैसा लगता है।
दिल में दर्द और आंखों से मुसल्सल आंसू जारी,
अलविदा रमजान मुझे सकारात* जैसा लगता है।।
(*सकारात – मौत का वक्त, मृत्यु पीड़ा, Pain of Death)
“अलवदा अलवदा माहे रमज़ान”
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रोजे की वो लज्जत अब कहां मिलेगी,
रिज्क़ में वो बरकत अब कहां मिलेगी।
अब न दिखेगी रातों में शबे कद्र यहां,
इबादत से मुहब्बत अब कहां मिलेगी।।
“अलवदा अलवदा माहे रमज़ान”
ईद की खुशी से ज्यादा अलविदा का ग़म है,
बिछुड़ने के इस ग़म में हमारी आंखें नम हैं।
न कर सके क़द्र इसकी पूरी तरह से इस बार,
बेशक या रब तेरे गुनहगार बदकार बंदे हम हैं।।
“अलवदा अलवदा माहे रमज़ान”
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