जयपुर। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी (Amaithi News) जिले के खरौली गांव में दो जोगी पहुंचे थे। उनमें से एक ने खुद को गांव के ही रतीपाल का बेटा अरुण होने का दावा किया जो 22 वर्ष पूर्व दिल्ली में गायब हो गया था। परिजनों को विश्वास दिलाने के लिए उसने पहले की कुछ कहानियां बताईं। इस वजह से लोगों को विश्वास हो गया कि साधु या जोगी के वेष में लौटा युवक अरुण ही है। लोगों ने जब अरूण से संन्यास छोड़कर घर में ही परिजनों के साथ रुकने के लिए कहा तो उसने जबरदस्त चाल चल दी। उसने कहा कि वह झारखंड के जिस मठ से जुड़ा है, वो 10 लाख रुपये का दान देने के बाद ही उसें छोड़ेगा। हालांकि, बातचीत के बाद मामला 3.60 लाख रुपये भी मिल में तय हो गया। इसके बाद ठग ने कहा कि उसे अभी जाना होगा। जिसके उसें गांव वालों ने 13 क्विंटल राशन देकर विदा किया।
अपने बेटे को हर हाल में अपने साथ रखने की चाहत में पिता अरूण के पिता रतीपाल ने खेत बेच दिया और अपने बेटे को सूचना भेजी। इसके बाद अरूण एकबार फिर साधु वेष में शनिवार को पैसा लेने अपने गांव पहुंच गया। हालांकि, रतीपाल ने सतर्कता बरतते हुए सारी बातों की जानकारी पुलिस को भी दे दी थी। पुलिस ने जांच की तो मामला कुछ और निकला। पुलिस ने रतीपाल और उनका परिवार को बताया कि जिसको वो अरुण समझ रहे हैं, वास्तव में नफीस (Nafis Thug) है। इसके बाद पुलिस ने नफीस को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
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आपको बता दें कि जायस कोतवाली क्षेत्र के खरौली गांव निवासी रतीपाल सिंह दिल्ली में नौकरी करते थे। अगस्त 2002 में 11 वर्ष की उम्र में उनका बेटा अरुण सिंह उर्फ पिंटू दिल्ली के सआदतपुर इलाके से गायब हो गया था। इसके बाद खोजने के बादवजूद वो नहीं मिला। अब 25 जनवरी 2024 को खरौली गांव में 2 जोगी युवक पहुंचे और रतीपाल के घर पर आकर मां के हाथ से भिक्षा लेने की जिद करने लगे। उसमें से एक ने खुद को अरुण बताया और पहचान के लिए कुछ घटनाओं के बारे में बताया।
ठग नफीस ने रतीपाल को ठगने के लिए पूरी प्लानिंग की थी। उसने परिवार को अपने गुरु के आदेश के बारे में बताया कि अयोध्या दर्शन करने के बाद मां के हाथ की भिक्षा लेकर वापस आने के बाद ही उसका संन्यास सफल होगा। इसके बाद दोनों वहीं घर पर रुक गए। परिजनों की सूचना से रतीपाल और अन्य परिवारीजन 27 जनवरी को दिल्ली से गांव पहुंचे और 22 वर्ष पहले गायब हुए बेटे से मिले। गायब बेटे को पाकर सभी रो पड़े। बेटे से दोबारा धाम नहीं जाने के लिए कहा। इसके बाद यह बातचीत धीरे-धीरे सौदेबाजी में बदल गई। अरूण बनकर आए नफीस ने कहा कि वह झारखंड के पारसनाथ स्थित मठ से जुड़ा है जहां से मुक्ति पाने के लिए उसें 10 लाख रुपये देने होंगे। इसके बाद मामला 3.60 लाख में तय हो गया फरवरी के दूसरे सप्ताह तक पैसे देने की बात तय की गई।
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22 साल बाद वापस आए लौटे बेटे के लिए पिता रतीपाल ने चुपके से अपनी 14 बिस्वा भूमि का सौदा अनिल कुमार वर्मा उर्फ गोली से 11.20 लाख में कर लिया। इसके बाद रतीपाल कुछ और लोगों के साथ पिकअप चालक के बताए पते पर पहुंचे तो वहां कोई नहीं मिला। इसके जांच की गई तो उसके बताए मठ का कोई पता नहीं मिला और मोबाइल बंद मिले।
सौदे के अनुसार संन्यासी वेष में शनिवार को अरूण बना नफीस युवक खरौली गांव पहुंच गया और रकम मठ के नाम करने के लिए कहने लगा। इसी दौरान इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस जांच में उसकी पहचान गोंडा के टिकरिया गांव के नफीस के रूप में हुई। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि गोंडा जिले के टिकरिया गांव के कुछ परिवार ठगी करते हैं। वो गायब होने वाले बच्चों का इतिहास जानकर फिर घर वापसी के नाम पर रकम लेकर फरार हो जाते हैं। उन्हीं में से एक नफीस का भी परिवार है।
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