जयपुर। अपने पति और बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान में प्रेमी नसरूल्ला के पास गई अंजू वापस लौट आई है। अलवर के भिवाड़ी की रहने वाली अंजू ने पाकिस्तान जाकर इस्लाम धर्म कबूल किया और फातिमा बन गई। इसके बाद उसने प्रेमी नसरूल्ला के निकाह किया। अब अंजू भारत वापस अपने पहले वाली पति अरविंद से तलाक लेने आई है। इसके बाद वो वापस पाकिस्तान जाएगी। आपको बता दें कि 34 वर्षीय अंजू उर्फ फातिमा के भारतीय पति अरविंद से 2 बच्चे हैं, जिसमें एक 15 वर्षीय बेटी और दूसरा 6 वर्षीय बेटा है। दोनों बच्चे अभी अरविंद के पास हैं। ऐसे में अंजू और उसके बच्चों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है।
आपको बता दें कि भारत में तलाक लेने का अधिकार सभी विवाहितों लोगों को है। परंतु अंजू के केस की गुत्थी काफी उलझी हुई है। अंजू उर्फ फातिमा ने बिना तलाक लिए दूसरी शादी की है। ऐसे में पहले उसके खिलाफ दूसरी शादी केस दर्ज कर मुकदमा चलाया जाएगा। भारतीय संविधान के हिंदू मैरिज एक्ट 1956 के 13ए के अनुसार पार्टनर्स से बिना तलाक लिए शादी करना कानून जुर्म है। इसकी व्याख्या भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में की गई है। इस धारा के तहत पुरुष पत्नी को बिना तलाक दिए हुए दूसरी शादी करता है तो उसे कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है। अंजू उर्फ फातिमा ने अपने पति से बिना तलाक लिए पाकिस्तान जाकर निकाह किया है। यदि तलाक से पहले यह केस अगर चलता है तो उसें पुलिस पुलिस गिरफ्तार करेगी। आपको बता दें कि 3 महीने पहले अंजू के खिलाफ उसके पति अरविंद ने एक मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें हत्या की धमकी देने का आरोप भी था। इस मामले में राजस्थान पुलिस भी अंजू पर शिकंजा कसेगी। इन सभी मामलों के निपटान के बाद अंजू के तलाक के मामले में सुनवाई होगी। इसके अलावा यदि उसके पति अरविंद की तरफ से सीधे सिर्फ तलाक का केस दर्ज किया जाता है तो कोर्ट में पहले उस पर सुनवाई हो सकती है।
भारत से पाकिस्तान जाकर शादी करने वाली अंजू अंजू अपने घर ग्वालियर में रहेगी। आपको बता दें कि ग्वालियर में अंजू का मायका है। हाालंकि, अंजू के पिता ने कहा है कि वो उनके लिए मर गई है। अंजू को लेकर गांववालों ने भी चेताया है कि यदि अंजू हमारी सीमा में जबरदस्ती आती है, तो उसे मार दिया जाएगा। अब ऐसे में अंजू पुलिस की देखरेख में किसी सुरक्षित जगह पर रह सकती है। वहां रहकर वो कानूनी प्रक्रिया का पालन कर सकेगी। यदि पुलिस किसी मामले में उसे हिरासत में लेती है, तो फिर वो पुलिस कस्टडी में रहेगी। फिर इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि वो कहां रहेगी।
अंजू उर्फ फातिमा की बढ़ी मुश्किलें! Police करेगी इस मामले में गिरफ्तार
अब सवाल यह भी उठता है कि क्या अंजू को अपने बच्चे मिलेंगे या नहीं और वो उन्हें पाकिस्तान ले जा सकती है या नहीं? ऐसे में हिंदू माइनोरिटी एंड गार्डियनशिप एक्ट, 1956 में माता-पिता के अलग होने पर बच्चों की कस्टडी को लेकर बच्चे की उम्र, लिंग, परवरिश और सुरक्षा को सबसे पहले देखा जाता है। अक्सर यह होता है कि 9 साल से अधिक उम्र के बच्चों को कोर्ट उनकी मर्जी से कस्टडी में भेजता है। आपको बता दें कि भारत में 5 तरह से बच्चों को कस्टडी में भेजा जाता है।
— कस्टडी के सबसे पहला तरीका फिजिकल कस्टडी कहा जाता है। इसमें बच्चा पहले वाले गार्जियन के पास हमेशा के लिए रहता है। दूसरा पक्ष सिर्फ समय समय मिल सकता है। बच्चे की पूरी देखरेख उसका प्रथम गार्जियन ही करता है।
— भारत मेें संयुक्त कस्टडी का भी प्रावधान है। इसमें माता-पिता रोटेशन के तहत बच्चों को अपने पास रखते हैं। संयुक्त कस्टडी में कौन कितने दिन के लिए बच्चे को पास रखेगा यह कोर्ट तय करता है।
— कानूनी कस्टडी भी बच्चों को अपने साथ में रखने का एक तरीका है जिसमें माता-पिता में से किसी एक को बच्चे के भविष्य के बारे में फैसला लेने का अधिकार होता है। जैसे कि बच्चे कहां पढ़ेंगे और उनका खर्च कैसे चलेगा।
— भारत में सोल्ड चाइल्ड कस्टडी का तरीका भी प्रचलन में है। जब माता-पिता में से कोई एक बीमार हो जाए या एक से बच्चे को खतरा हो तो इसका आकलन रिपोर्ट और पूर्व में किए कार्यो के आधार पर तय किया जाता है।
— भारत में थर्ड पार्टी कस्टडी की भी व्यवस्था है। इसमें बच्चों को माता-पिता से अलग किसी तीसरे व्यक्ति के पास रखा जाता है।
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