जयपुर। ओडिशा की Ant Chutney को GI Tag मिला है। भारत के पूर्वी राज्यों जैसे ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में कई ऐसे समुदायों के लोग हैं लाल चींटियों की मसालेदार चटनी बनाकर खाते हैं। इसको काई चटनी कहा जाता है। चींटियों की चटनी अपने औषधीय और पौष्टिक गुणों के लिए इन इलाकों में काफी फेमस है। अब इस विशिष्ट नमकीन चटनी को भौगोलिक संकेत यानी (Geographical Indication) टैग दिया गया है।
यह भी पढ़ें : रतन टाटा देंगे 'लक्षद्वीप आईलैंड' को बड़े तोहफे, कर दिया ऐलान
मयूरभंज के जगलों में मिलती है चटनी वाली चींटियां
GI Tag पाने वाली Ant Chutney को बनाने के लिए जरूरी लाल चीटिंयों का वैज्ञानिक नाम ओकोफिला स्माराग्डिना है। यह चींटियां अपने खतरनाक दर्दनाक डंक के लिए फेमस है जिनके काटने पर त्वचा पर फफोले पड़ जाते हैं। ये खतरनाक चीटिंया प्रमुख तौर पर मयूरभंज और सिमिलिपाल जंगलों में मिलती है। ये जंगल एशिया के दूसरे सबसे बड़े जीवमंडल का गठन करते हैं।
<iframe width="560" height="315" src="https://www.youtube.com/embed/6qU2L7xjwj0?si=GttQDe4PhjBJZeIS" title="YouTube video player" frameborder="0" allow="accelerometer; autoplay; clipboard-write; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture; web-share" allowfullscreen></iframe>
लाल चींटियों की चटनी में मिलते ये पोषक तत्व
लाल चींटियों से बनी चटनी में कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे यह लाभकारी है। इस चटनी को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन-बी12, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। यह चटनी खाने से दिल स्वस्थ रहने के साथ ही नवर्स सिस्टम भी ठीक रहता है। Ant Chutney का सेवन करने से डिप्रेशन, थकान जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है।
यह भी पढ़ें : Makar Sankranti पर मिलेंगी सबसे सस्ती पतंगे, यहां से खरीदें फटाफट
ऐसे बनाई जाती है Ant Chutney
Ant Chutney बनाने के लिए सबसे पहले चींटियों और अंडों को सुखाया जाता है। इसके बाद लहसुन, अदरक, हरा धनिया, इलायची, इमली, नमक और थोड़ी सी चीनी डालकर इसें और भी टेस्टी किया जाता है। यह चटनी मुख्यतौर पर कांच के बर्तन में रखी जाती है। एकबार बनाने के बाद चींटियों की चटनी 1 साल तक चलती है।लाल चींटी की चटनी को अब जीआई टैग मिलने की वजह से इसें खास डिश के तौर पर पहचान मिलेगी।