वो कहते है ना कि अगर किसी काम को करने का जज्बा हो तो फिर कितनी भी बड़ी समस्या सामने क्यों न आ जाए हम उससे लड़कर अपने मुकाम तक पहुंच ही जाते हैं। हुनर ना तो कभी उम्र का मोहताज होता है और ना ही किसी की मदद का। ऐसी ही एक कहानी है हुनरमंद अरूण प्रभु की जिसने सिर्फ अपने हुनर के दम पर लोगों को हैरान कर दिया है। अरूण ना तो कोई सेलिब्रिटी है और ना ही कोई बड़ा आर्किटेक्ट। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले अरुण ने अपने दिमाग का इतना अच्छे तरीके से उपयोग किया कि ऑटो में एक शानदार लग्जरी घर बना दिया। यह घर कोई नॉर्मल घर नहीं है। इसे देखकर ऐसा लगता है कि यह दुनिया का 8वा अजूबा है।
लग्जरी घर का नाम है “सोलो 0.1”
अरूण ने अपने सपने का घर बनाने के लिए तिपहिया टेम्पो को चुना। इसमें वे सारी सुविधाएं है जो किसी आलिशान बंगले में होती है। उन्होनें अपने इस इनोवेशन का नाम “सोलो 0.1” रखा है। इस घर की खास बात यह है कि इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकते है। हालांकि मार्केट में पहले से ही कई कैरावन होम अवेलेबल है, लेकिन वे किसी ट्रक या बड़ी गाड़ियों पर बनाए गए है। उन्हें बनाने में खर्चा अधिक लगता है। हर कोई उन्हें अफोर्ड नहीं कर सकता। लेकिन टेम्पू में बनाया गया यह कैरावन बहुत ही कम लागत में बनकर तैयार हो गया। इसे हर कोई अफोर्ड कर सकता है।
मॉड्यूलर किचन सहित कई सुविधाएं
इस घर में वो सारी सुविधाएं है जो हमें किसी लग्जरी घर में मिलती है। यह घर 6X6 के लेआउट पर बनाया गया है। अरूण के इस मूवेबल घर में 1 बैडरूम, मॉड्यूलर किचन और बाथरूम भी है। किचन और बाथरूम के लिए 250 लीटर का पानी का टैंक बनाया है। इसके अलावा 70 लीटर का गार्बेज कंटेनर भी बनाया है ताकि घर का कचरा बाहर इधर-उधर फेंकने के बजाय उस कंटेनर में इकट्ठा किया जा सके। इन सबके अलावा घर में सोलर पैनल की सुविधा भी है ताकि घर में बिजली की आपूर्ति हो सके और अंधेरे में ना रहना पड़े।
ऑटो में रात बिताने वाले ड्राइवर्स को देख मिली प्रेरणा
अरूण को इस तरह का घर बनाने की प्रेरणा चेन्नई से मिली जब वो चेन्नई में अपनी ग्रेजुएशन कर रहे थे। उन्होनें इस दौरान अपना जीवन मुंबई की झोपड़ियों में भी बिताया। अरूण ने देखा कि कई ऐसे लोग है जिनके पास रात बिताने की जगह नहीं है। ऑटो वाले ऑटो में सो जाते है। वहीं से उन्हें यह अहसास हुआ कि ऐसा कोई घर हो यहां कम खर्च में बन सके और रहने की सुविधा भी मिल जाए। इस घर को पूरा करने में उन्हें 5 से 6 महीने का समय लगा और इसमें लगभग 1 लाख रुपए का खर्चा आया।