जयपुर। BJP सरकार ने बड़ा ऐलान किया है जिसके तहत अब भारतीय मुस्लिमों का होगा सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसको लेकर सरकार ने मंजूरी भी दे दी है। आपको बता दें कि असम की हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) सरकार ने राज्य की स्वदेशी मुस्लिम आबादी के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को मंजूरी दी है। इससे पहले बिहार सरकार द्वारा जाति-आधारित सर्वेक्षण करके उसने परिणामों की घोषणा की गई थी। इसके बाद अब असम सरकार ने यह कदम उठाया है।
हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) की अध्यक्षता में असम कैबिनेट ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण सहित कई सारी बड़ी घोषणाएं की हैं। इनमें राज्य के स्वदेशी अल्पसंख्यकों के कल्याण, पुस्तकालयों की स्थापना और परंपराओं को स्वीकार करते हुए पशुओं के के साथ नैतिक व्यवहार पर ध्यान केंद्रित वाला कदम भी शामिल हैं। स्वदेशी असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन अल्पसंख्यक मामलों और 4 क्षेत्रों के निदेशालय के जरिए किया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री Himanta Biswa Sarma ने ट्वीट करके कहा कि असम मंत्रिमंडल की बैठक में हमने असम के स्वदेशी अल्पसंख्यकों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन करने व पूरे असम में पुस्तकालयों के निर्माण के लिए 259 करोड़ रुपये की मंजूरी और पारंपरिक बुलफाइट्स के लिए एसओपी तैयार करने का फैसला लिया है जिससें की उनकी भलाई सुनिश्चित की जा सके।
हिमंत सरकार ने छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए 'पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2023-24' के तहत बच्चों और किशोरों के लिए पुस्तकालय और डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए ऐलान किया हे। इस योजना का लक्ष्य 259.70 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि से 2197 ग्राम पंचायतों और 400 नगरपालिका वार्डों में नए पुस्तकालयों बनाने इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ पुस्तकों/फर्नीचर/कंप्यूटर की खरीदी करना है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों और किशोरों को नवीनतम पुस्तकों तक पहुंच मिले और वे राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी संसाधनों से जुड़े रहें।
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असम सरकार की कैबिनेट ने पारंपरिक बुलफाइट्स के सांस्कृतिक महत्व को स्वीकार करते हुए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए भी काम किया है। प्राथमिक ध्यान इन आयोजनों शामिल जानवरों की भलाई सुनिश्चित करना है। असम के अहतगुरी, मोरीगांव जिले, नागांव जिले या असम के किसी अन्य हिस्से में माघ बिहू के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए पारंपरिक भैंस और बैल की लड़ाई की अनुमति देने के लिए विस्तृत प्रक्रिया/एसओपी का मुद्दा जारी किया गया है। एसओपी लाने के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि जानवरों पर कोई जानबूझकर अत्याचार या क्रूरता नहीं करे वार्षिक मोह-जुज उत्सव के दौरान आयोजकों द्वारा उनकी भलाई का काम किया जाए। बुलफाइट्स असम की सदियों पुरानी सांस्कृतिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है।
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