Ayatul Kursi Quran : रमजानुल मुबारक का मुकद्दस महीना चल रहा है। आज 22वां रोजा रखा जा चुका है। परसो से तीसरे अशरे की शुरुआत हो चुकी है। इसमें जहन्नम की आग से पनाह मांगी जाती है। कुरान शरीफ में एक ऐसी आयत है जिसे सभी आयतों की सरदार (Ayatul Kursi Quran) कहा जाता है। आयतुल कुर्सी जो शख्स पढ़ लेता है तो अल्लाह उसे शैतान से महफूज रखते है और खैरो बरकतें नाजिल करते हैं। आयतुल कुर्सी को बाद नमाज पढ़ने से घर में शयातीन नहीं आते हैं। जान लेते हैं कि आखिर कुरान की सबसे अजीम आयत का क्या फलसफा है।
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कुरान की सबसे पावरफुल आयत
आयतुल कुर्सी कुरान (Ayatul Kursi Quran) की सब से बुलंद रुतबे वाली आयत है। ये सूरह अल-बक़रा की आयत नंबर 255 है। हदीस में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसको तमाम आयात से बेहतरीन करार दिया है। हज़रत अबू हुरैरा र.अ. फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : सूरह बकरा में एक आयत है जो तमाम कुरान की आयातों की सरदार है जिस घर में पढ़ी जाये शैतान वहां से दूर भाग जाता है। नबी ए करीम का फरमान है कि जो शख्स फर्ज नमाज के बाद रोजाना आयतुल कुर्सी (Ayatul Kursi Quran) पढ़ने की आदत बना लेता है तो उसके और जन्नत के बीच केवल मौत का फासला है।
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आयतुल कुर्सी हिंदी में (Ayatul kursi in Hindi)
बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम
अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू अल हय्युल क़य्यूम
ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम
लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़
मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इज़निह
यअलमु मा बैना अयदीहिम वमा खल्फहुम
वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ
वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम
आयतुल कुर्सी हिन्दी तर्जुमा (Ayatul Kursi Hindi)
अल्लाह वह ज़ात है जिसके इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं है । हमेशा ज़िंदा रहने वाला और (सब) को क़ायम रखने वाला है, न उसे ऊंघ आती है न नींद, उसी के लिये है जो आसमानों में है और जो ज़मीन में है, कौन है जो उसकी इजाज़त के बगैर उसके पास सिफ़ारिश कर सके, जो लोगों के सामने है और जो उनके पीछे है सब को जानता है, लोग उसके इल्म में से किसी चीज़ का अहाता नहीं कर सकते मगर जो वह चाहे, उसी की कुर्सी आसमानों और ज़मीन को घेरे हुए है, और दोनों की हिफाज़त उसे थकाती नहीं, और वह बुलंद अज़मत वाला है।
allāhu lā ilāha illā huw, al-ḥayyul-qayyụm, lā ta`khużuhụ sinatuw wa lā na`ụm, lahụ mā fis-samāwāti wa mā fil-arḍ, man żallażī yasyfa’u ‘indahū illā bi`iżnih, ya’lamu mā baina aidīhim wa mā khalfahum, wa lā yuḥīṭụna bisyai`im min ‘ilmihī illā bimā syā`, wasi’a kursiyyuhus-samāwāti wal-arḍ, wa lā ya`ụduhụ ḥifẓuhumā, wa huwal-‘aliyyul-‘aẓīm
English Translation of Ayatul Kursi
Allah – there is no deity except Him, the Ever-Living, the Sustainer of [all] existence. Neither drowsiness overtakes Him nor sleep. To Him belongs whatever is in the heavens and whatever is on the earth. Who is it that can intercede with Him except by His permission? He knows what is [presently] before them and what will be after them, and they encompass not a thing of His knowledge except for what He wills. His Kursi extends over the heavens and the earth, and their preservation tires Him not. And He is the Most High, the Most Great.”