Bakrid ki Namaz ka Tarika : इस्तकबाले हज का लम्हा आ चुका है। आज शाम को दुबई और खाड़ी देशों में बकरा ईद का चांद नजर आ जाएगा। भारत में कल शाम 7 जून 2024 को ईद अल अजहा का चांद नजर आ सकता है। सऊदी अरब में 14 जून से हज के अरकान शुरु हो जाएंगे। हम यहां पर आपको बकरा ईद की नमाज का सुन्नत तरीका (Bakrid ki Namaz ka Tarika) बता रहे हैं। बकरीद की नमाज सामान्य नमाज से थोड़ी अलग होती है। हम हिंदी जबान में ये जानकारी लाए हैं ताकि आप लोगों को बकरीद की नमाज पढ़ने में कोई दिक्कत पेश नहीं आए। आप सबको ईद अल अजहा की तहे दिल से मुबारकबाद। ईद की नमाज की तरह ही ईद उल अजहा की नमाज में भी 2 रकात होती है जिसमें 6 जायद तकबीर होती है। अल्लाह हम सबको अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करने की तौफीक़ नसीब फरमाएं। आमीन सुम्माआमीन
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बकरा ईद की नमाज पढ़ने का सुन्नत तरीका (Bakrid ki Namaz ka Tarika)
Eid ul Adha की नमाज की पहली रकात (Eid ul Adha Namaz First Rakat)
- यहां सबसे पहले आप ईद उल अजहा की नीयत करेंगे।
- अब इमाम को अल्लाहु अकबर कहने पर हांथो को बांध लें।
- अगर नियत ना मालूम हो तो ये कहे कि जो नीयत इमाम की वही मेरी।
- इसके बाद सना यानी ‘सुब्हान कल्ला अल्लाहुम्मा’ पूरा पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहने पर हांथ उठा कर छोड़ देना है।
- फिर से अल्लाहु अकबर कहने पर हांथ उठा कर छोड़ ही दें।
- तीसरी बार अल्लाहु अकबर कहते ही हांथ बांध लेना है।
- यहां से अब इमाम साहब पढ़ेंगे आपको खामोश रहना है।
- पहले इमाम अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ेंगे।
- अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ेंगे।
- इसके बाद सूरह फातिहा यानी अलहम्दु शरीफ पूरा पढ़ेंगे।
- सूरह फातिहा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमीन आप भी कहें।
- इसके बाद कोई एक सूरह पढ़ी जाएगी।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहने पर रूकूअ में जाएंगे।
- रूकूअ में 3, 5, या 7 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे।
- आप रूकूअ से उठते हुए रब्बना लकल हम्द कहेंगे।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
- सज्दे में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहने पर उठ कर बैठ जाएंगे।
- फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहने पर दूसरा सज्दा करें।
- दुसरी सज्दा में भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहने पर दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
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Eid ul Adha की नमाज की दूसरी रकात (Eid ul Adha Namaz 2nd Rakat)
- पहले यहां पर तअव्वुज और तस्मियह पढ़ा जाएगा।
- इमाम साहब अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ेंगे।
- इसके बाद यहां भी सूरह फातिहा बुलन्द आवाज में पढ़ेंगे।
- फिर यहां भी कोई एक सूरह को पढ़ा जाएगा।
- अब यहां पर फिर से जाईद तकबीरें बोली जाएगी आप ध्यान दें।
- पहली बार अल्लाहु अकबर कहने पर हाथ उठा कर छोड़ना है।
- दूसरी बार भी अल्लाहु अकबर कहने पर हांथ उठा कर छोड़ दें।
- यहां तीसरी बार भी अल्लाहू अकबर कहने पर हांथ को छोड़ दें।
- चौथी बार अल्लाहु अकबर कहने पर बगैर हांथ को उठाए।
- ज्यादातर लोग यही गलती करते हैं और भूल जाते हैं।
- आप अब रूकुअ में जाएंगे हर बार की तरह ध्यान रहे।
- रूकूअ में कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे।
- आप साथ ही रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकुअ से उठेंगे।
- इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएंगे।
- सज्दे में भी कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठेंगे।
- फिर फ़ौरन अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करेंगे।
- दुसरी सज्दा में भी ज़रूर 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएंगे।
- इसके बाद तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात पढ़ा जाता है।
- अत्तहिय्यात पढ़ते हुए कलिमे ला पर उंगली खड़ा करेंगे।
- फिर तुरंत इल्लल ला हु पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
- इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ें फिर रब्बना आतिना फिद्दुन्या पढ़ें।
- अब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहने पर सलाम फेर लें।
- बकरीद की नमाज ख़त्म हो जाने के बाद इमाम साहब खुत्बा पढेंगे जिसे तवज्जो से सुने।
- ईद उल अजहा का खुत्बा सुनना वाजिब है क्योंकि ये हजरत इब्राहीम की सुन्नत है।
- इसके बाद सब लोग आपस में गले मिलकर बकरा ईद की मुबारकबाद देते हैं।
- एक रास्ते से ईदगाह आए और दूसरे रास्ते से वापस जाए।
- इसके बाद कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने के बाद घर जाकर कुर्बानी करते हैं।
- ईद की नमाज के बाद अपने यारों रिश्तेदारों पड़ोसियों के घर जाकर खुशी मनाएं।
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ईद उल अजहा का इतिहास क्या है (Hsitory of Eid ul Adha)
बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की कुर्बानी की सु्न्नत को जिंदा करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह तआला का हुक्म हुआ था कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करो। अल्लाह के खलील हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम (Hsitory of Eid ul Adha) को 80 साल की उम्र में हजरत इस्माईल पैदा हुए थे। ऐसे में उनको कुर्बान करने का ख्याल दिल में लाना ही सबसे बड़ी कुर्बानी थी। अल्लाह तआला ने इस इम्तिहान में कामयाब होने पर इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कहा कि आपकी ये सुन्नत (Eid Ul Adha 2024 in Gulf) कयामत तक आने वाली नस्लें जिंदा रखेगी। केवल गोश्त खाने के इरादे से कुर्बानी नहीं की जानी चाहिए। बल्कि तकवा और परहेजगारी ही इस त्योहार का मुख्य अकीदा है।