Jhansi,Bundelkhand सड़क से गुजरते हुए अचानक डकैत रोककर आपको घेर लें, तो किसी की भी जान निकलकर हाथों में आ जाएगी। झांसी के बुंदेलखंड की सड़कों-हाइवे पर ऐसे ही डकैत आज भी सड़कों पर लोगों को रोकते हैं और पैसा लेकर चले जाते हैं। यहां से गुजरने वाले लोग भी चुपचाप उन्हें पैसा दे देते हैं। ये इसलिए नहीं कि वे उनसे डरते हैं या जान का खतरा है। यहां से होता है डाकू परंपरा का निर्वहन के कारण। डाकू की वेशभूषा में लोग आते हैं और राहगीरों को रोककर परंपरा के अनुसार दान मांगते हैं। फिर ये लोग पैसे लेकर शांति से वापस भी चले जाते हैं। झांसी के ही एरच गांव के लोग Rawana slaughter fair of Jhansi वाले दिन इकट्ठा होकर अपने अंदर के डकैत, राक्षस को बाहर निकालने के इरादे से इस प्रथा को अपनाते हैं।
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हर साल होता है ऐसा
हर साल दिवाली तक डाकुओं की परंपरा को अपनाते हुए Bundelkhand के लोग ऐसा करते हैं। ये लोग डाकू की वेशभूषा में आकर लोगों से दान की मांग करते हैं। इन लोगों के अनुसार ऐसा करने से बुराई पर अच्छाई को जीत मिलती है।
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बुराई पर अच्छाई की जीत
डाकू की वेशभूषा में ये लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं। एरच गांव के रहने वाले लोग बताते हैं कि ये लोग राहगीरों को डरा-धमका के पैसे वसूलने की बजाय दान के रूप में पैसे मांगते हैं। जिससे ये पुरानी परंपरा निभाई जा सके। ये परंपरा दस्यु रानी फूलन देवी के गुरु बाबा मुस्तकीम भी रावण वध मेले के समय मांगते थे, अब हम लोग डाकू बनकर इस दान की परंपरा को निभा रहे हैं।
इस डकैती परंपरा को निभाने वाले सभी लोग मां काली के भक्त होते हैं। Rawana slaughter fair of Jhansi के बाद में ये सभी बुरे से अच्छा बनने का फैसला लेते हैं।