जयपुर। वसंत पंचमी (Vasant Panchami) उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योंहार है जिसके समय चारों तरफ धरती तरह-तरह के रंगों के फूलों से अटी होती है। वसंत की त्रृतु में पीले फूल सबसे ज्यादा खिलते हैं जिसमें सरसों के फूल सबसे ज्यादा लगते हैं। इस काराण गांवों व कस्बों के खेतों में चारों तरफ पीला ही पीला रंग दिखाई देता है। इस बार पसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जा रही है और इसी दिन वैलेंटाइन डे (Valentine Day Vasant Panchami 2024) भी मनाया जा रहा है। ऐसे में इन दोनों ही त्योंहारो के साथ पड़ने पर माहौल जबरदस्त रहने वाला है।
पसंब पंचमी 2024 में सरस्वती पूजा 14 फरवरी 2024 को है। हालांकि, असल में बसंत पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से हो रही और अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर खत्म होगी। इस वजह से ऐसे में उदयातिथि के अनुसार पूजा 14 फरवरी को होगी।
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बसंत पंचमी को ही सिर पंचमी कहा जाता है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।
हिंदू धर्म के अनुसार बसंत पंचमी को ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था जिस वजह से उन्हें याद करके उनकी पूजा की जाती है। वहीं, सिखों के लिए में बसंत पंचमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बसंत पंचमी के दिन सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था। वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा नाता है।
वसंत पंचमी को कई नामों से जाना जाता है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। मां सरस्वती का दूसरा नाम वागीश्वरी भी है, इसमें वसंत पंचमी को वागीश्वरी जयंती भी कहा जाता है। वसंत पंचमी का एक नाम श्रीपंचमी भी है।
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के 7 दिनों में देवताओं के गुरु बृहस्पति यानि विद्या के कारक देव का दिन बृहस्पतिवार या गुरुवार कहलाता है। ऐसे में यह दिन हिंदुओं में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा के लिए विशेष होता है।
वसंत पंचमी का दिन सरस्वती पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार महीने माघ में वसंत का पांचवां दिन सरस्वती पूजा का है।
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वसंत पंचमी का पर्व भगवान विष्णु और सरस्वती जी की आराधना का दिवस है। सरस्वती पूजा के लिए प्रातः काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर धूप दीप, नैवेद्य व लाल रोली से दोनों की पूजा अर्चना की जाती है। हालांकि, इससे पूर्व गणेश जी का पूजन अवश्य होना जरूरी है।
वसंत पंचमी को पीले व मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
– बसंती पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
– फिर माता सरस्वती की मूर्ति साफ चैकी पर स्थापित करें।
– वसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके पूजा करना चाहिए।
– वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की वंदना करें और भोग लगाएं।
– इसके बाद माता सरस्वती की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें। इस दिन पेड़-पौधे की कटाई नहीं करें और किसी को अपशब्द नहीं कहें। बसंत पंचमी का दिन विद्या की देवी सरस्वती का दिन होता है इस वजह से इस दिन भूलकर भी कलम, कागज, दवात या शिक्षा से जुड़ी चीजों का अपमान नहीं करें।
मीठे के साथ ही बसंत पंचमी पर नमकीन स्वाद में पीले चावल भी बनाए जाते हैं जिनको तहरी भी कहा जाता है। चावल दाल से बनी तहरी पर घी डालकर खाया जाता है। बसंत पंचमी के लिए पीली मिठाई में राजभोग भी बनाया जा सकता है।
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