नई दिल्ली। दिल्ली में मंगलवार को इंडिया सेंट्रल एशिया की जॉइंट वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया। भारत ने यूनाइटेड नेशन वल्र्ड फूड प्रोग्राम के साथ साझेदारी के तहत अफगानिस्तान को 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजने का ऐलान किया है। काबुल को यह मदद ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए भेजी जा रही है।
भारत और सेंट्रल एशिया के पांच देशों के बीच मंगलवार को अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की गई। इस दौरान अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने या किसी तरह की आतंकी गतिविधियों के योजना बनाने के लिए नहीं होनी चाहिए। इसी दौरान ये भी तय हुआ कि अफगानिस्तान की मदद के लिए गेहूं की खेप ईरान के रास्ते भेजी जाएगी।
जेडब्ल्यूजी की बैठक मंगलवार को हुई। इसमें कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष दूतों और सीनियर अधिकारियों ने हिस्सा लिया। यूएनडब्लयूएफपी और यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम्स (यूएनओडीसी) के देशों के प्रतिनिधियों ने भी इसमें भाग लिया।
50 हजार मीट्रिक टन गेहूं देने का वादा किया था।
अफगानिस्तान में भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे। भारत ने अफगानिस्तान के नागरिकों व सरकार की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। भारत ने बीते साल वादा किया था कि वे अफगानिस्तान को 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खेप भेजेंगे। भारत 36,500 मीट्रिक टन गेहूं पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान भेज चुका है।