क्या भीमराव अंबेडकर सिर्फ दलितों के मसीहा थे?
14 अप्रैल 2023 को डॉ भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती है। भारतीय संविधान के मुख्य निर्माताओं में भीमराव अंबेडकर का स्थान सर्वविदित है। वे एक कुशल विधिवेता होने के साथ-साथ कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भी थे। समाज के सभी वर्गों को ऊपर उठाने में उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
जन्म और शिक्षा दीक्षा
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को तत्कालीन मध्य प्रांत के महू छावनी जो कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में आता है वहां हुआ था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 14 संतान में एकमात्र अपने माता पिता की ऐसी संतान थे जो स्कूल गए थे। इनके पिता का नाम राम जी सतपाल और माता का नाम भीमाबाई था। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अंबेडकर को ब्रिटेन और अमेरिका जाना पड़ा। सच तो यह है कि वे एक ऐसे भारतीय थे जिन्होंने उस समय चार पीएचडी डिग्री हासिल की जो अपने आप में एक उपलब्धि से कम नहीं।
योगदान और भूमिका
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर फादर ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन माने जाते हैं। उन्हें संविधान निर्माण की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसे में भारतीय संविधान निर्माण में उनकी भूमिका अग्रणीय है। उनके प्रयास से ही संविधान में बहुत से ऐसे अनुच्छेद जोड़े गए। जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसीलिए अंबेडकर को आधुनिक भारत का निर्माता भी कहते हैं।