Bhopal Gas Tragedy : 2 दिसंबर को भारत में एक ऐसा कांड हुआ था जिसमें लगभग 400 लोग मौत के मुंह में चले गए थे। यह भोपाल गैस कांड था जिसें देश कभी नहीं भूल पाएगा। भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया की भीषणतम औद्योगिक आपदा के रूप में भी जाना जाता है। Bhopal Gas Tragedy एक असहनीय दर्द है जिसका दुख आज भी महसूस किया जाता है। 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यह दर्दनाक और खौफनाक घटना हुई थी। आइए इस घटना से जुड़े हर सवाल के बारे में जानते हैं।
2-3 दिसंबर 1984 की रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी के कीटनाशक बनाने वाले प्लांट से 40 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिस गई। यह रिवास यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के प्लांट नंबर सी से हुआ था।
Bhopal Gas Tragedy में मिथाइलआइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ। इसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था।
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साल 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस रिस गई थी। फैक्ट्री के प्लांट नंबर C में टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड गैस के साथ पानी मिल गया था। इसके बाद कैमिकल रिएक्शन हुआ जिसकी वजह से दबाव से टैंक खुल गया और जहरीली गैस हवा में घुल गई।
साल 1984 में दिसंबर 2 और 3 तारीख की रात को यूनियन कार्बाइड के कारखाने से लगभग 40 टन 'मेथायिल अयिसोसायिनेट' गैस का रिसाव हो गया। इससें भोपाल सिटी में अफरा तफरी मच गई।
भोपाल गैस कांड 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात हुआ था जहां लगभग 40 45 टन खतरनाक गैस मिथाइल आइसोसाइनेट एक कीटनाशक संयंत्र से लीक हो गई। यह गैस संयंत्र के आसपास घनी आबादी वाले इलाके में फैल गई जिससें हजारों लोगों की तुरंत मौत हो गई।
भोपाल गैस त्रासदी का जिम्मेदार है जो कीटनाशक बनाता था। भोपाल गैस त्रासदी अत्यधिक अस्थिर रसायन, मिथाइल आइसोसायनेट की वजह से हुई थी।
अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के प्रमुख Warren Anderson थे जिनकी अब मौत हो चुकी है।
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भारत सरकार ने 1970 के दशक में विदेशी कंपनियों को स्थानीय उद्योग में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसी की वजह से यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन कंपनी का पूरे एशिया में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक सेविन के निर्माण के लिए एक संयंत्र लगाया गया था।
कार्बाइड में काफी गर्मी होती है जिसका शरीर के सभी अंगों पर प्रभाव पड़ता है। इससे कई बीमारियां होती है। कार्बाइड की वजह से कैंसर जैसे भी होते है। इसके अलाव इससे पेट संबंधी समस्याएं, किडनी, एलर्जी एवं त्वचा संबंधी रोग होते हैं।
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