जयपुर। भारत का एक ऐसा उग्रवादी सामने आया है जो लोगों के लिए मिसाल बना है। आपको बता दें कि प्रतिबंधित संगठन उल्फा से जुड़े उग्रवादी लेफ्टिनेंट बिपुल कालिता ही येय उग्रवादी हैं जो एक समय बंदूकों के जरिए समाज का सफाया करने निकले थे। हालांकि, समय और उम्र के साथ उनकी मैच्यॉरिटी उन्हें वापस मुख्यधारा में ले आई। अब वह असम में अपने गृह नगर शिवसागर में कचरा साफ करने से जुड़े एक बिजनेसमैन बन गए हैं। 50 साल के बिपुल कालिता 'संप्रभु असम' की स्थापना के अपने सपने को साकार करने के लिए लगभग 12 साल तक यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के लिए काम करते रहे।
2000 में हथियार डाल दिए
आपको बता दें कि 2000 में हथियार डाल दिए और तब से राज्य के पूर्वी हिस्से में अपने पैतृक स्थान पर अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ जीवन बिता रहे हैं। शुरुआती कुछ वर्षों तक छिटपुट काम करने के बाद, कालिता ने 2016 में एक उद्यमी बनने का फैसला किया और सात-आठ भागीदारों के साथ घर-घर जाकर कचरा एकत्र करना शुरू कर दिया।
कचरे से बना रहे खाद
कालिता का कहना है कि हमने शिवसागर शहर के 14 वार्ड में कचरा संग्रह का काम शुरू किया। हमने डिब्रूगढ़ में उचित अपशिष्ट निपटान के बारे में जागरूकता अभियान चलाया। हालांकि हम शुरुआत में सात-आठ लोग थे, जिनमें से अधिकतर ने यह काम छोड़ दिया क्योंकि वे इसे एक उपयुक्त नौकरी नहीं मानते थे। मैंने अपने एनजीओ 'रूपांतर' के साथ अकेले इसे जारी रखा और जल्द ही छह अन्य नागरिक समाज संगठनों से मदद मिली।' असम में गैर-सरकारी संगठन शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा कर रहे हैं। कालिता के पास सात वाहन और कर्मचारी हैं, जिनमें ड्राइवर और अन्य सहयोगी शामिल हैं। इनका काम कचरा इकट्ठा करना और निपटान करना होता है।
20-25 महिलाएं भी करती हैं काम
कालिता क कहना है कि हमारे साथ 20-25 महिलाएं भी काम करती हैं। कचरा संग्रहण के अलावा, हमारे पास कचरे को खाद में बदलने की दो मशीन हैं। ये शिवसागर नगरपालिका बोर्ड की तरफ से लगाई गई थीं।' मशीन के आपूर्तिकर्ता नई दिल्ली से आए थे और कालिता व उनकी टीम को कचरे को खाद में बदलने के लिए प्रशिक्षित किया था, लेकिन इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक रसायन राष्ट्रीय राजधानी से मंगाना पड़ता है, जो उनके लिए एक समस्या रही है।
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