रिश्वत के मामले में पकड़े गए जीसएसटी के अधिकारियों से पूछताछ के दौरान कई बातें निकलकर सामने आई है। पूछताछ में पता चला है कि इन अधिकारियों के पास रिश्वत के जो भी पैसे जाते थे नीचे से ऊपर तक सभी अधिकारियों में बांटे जाते थे। सीबीआई की गिरफ्त में आए अधिकारियों से उच्च अधिकारियों के नाम का भी खुलासा हुआ है। इसके बाद सीबीआई ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है।
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अंदर जाने के लिए ड्राइवर से लेनी पड़ती परमिशन
दरअसल CBI ने 7 लाख रुपए की रिश्वत के मामले में सेंट्रल जीएसटी के 5 अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा था। इन दिनों पांचो अधिकारी रिमांड पर है। इनसे पूछताछ के दौरान पता चला है कि रिश्वत के पैसे सेंट्रल जीएसटी ऑफिस के बाबू से लेकर आला अफसर तक बांटा जाता था। जब भी कोई पैसे लेकर आता है तो जीसएटी ऑफिस में जाने से पहले बाहर उसे बाहर ड्राइवर और अन्य कर्माचरियों से इजाजत लेनी पड़ती है। उसके बाद ही अंदर एंट्री होती है।
बड़े साहब को बड़े नोट
राजस्थान के त्रिलोकचंद सेन ने जबलपुर सीबीआई को शिकायत की थी। त्रिलोकचंद की दमोह में गुटखा फैक्ट्री है जिसे सेंट्रल जीएसटी ने सीज कर दिया था। इस फैक्ट्री को रिलीज करने के लिए जीसएटी अधिकारी 1 करोड़ रुपए की रिश्वत मांग रहे है। उनके बीच 35 लाख रुपए का सौदा हुआ। त्रिलोकचंद की शिकायत पर सीबीआई ने अधीक्षक कपिल कांबले, अधीक्षक सौमिन गोस्वामी ,इंस्पेक्टर प्रदीप हजारी, इंस्पेक्टर विकास गुप्ता और इंस्पेक्टर वीरेंद्र जैन को सात लाख रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
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त्रिलोकचंद ने रिश्वत की पहली किश्त पहुंचा दी थी। इसमें से 10 लाख रुपए तो सिर्फ बड़े अफसर को ही दिए गए। इसके अलावा शेष रकम अधीक्षक और निचले स्तर के कर्मचारियों में बांटी जानी थी। इससे पहले ही सीबीआई ने दबिश देकर रिश्वतखोर अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। रिश्वत की रकम पद के हिसाब से तय होती है। इसके बाद सीबीआई अपनी जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी में जुट गई हैं। माना जा रहा है कि पकड़े गए अफसरों के बयान पर बड़े अफसरों से भी पूछताछ की जाएगी।