मणिपुर हिंसा में कई लोगों की जान जाने के बाद अब हालात सामान्य होने लगे है। कई लोगों के बेघर होने इस हिंसा में भारी नुकसान होने के पीछे मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग बताई जा रही है। वहीं अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने इस हिंसा के कारण की दिशा को ही पलट दिया। केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब में कहा कि मणिपुर हिंसा की असली वजह मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग नहीं है वह तो सिर्फ एक चाल थी। इसके पीछे का असली सच म्यांमार के अवैध प्रवासियों द्वारा राज्य में नशे का कारोबार करना है।
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जब मणिपुर में हिंसा भड़की तो हाइकोर्ट ने कहा कि यह सब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के विरोध में किया जा रहा है। लेकिन अब इसके पीछे की वास्तविकता कुछ अलग ही सामने आ रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह म्यांमार में अवैध प्रवासियों का अफीम की खेती करना और पहाड़ी जिलों में नशे के कारोबार पर लगाम कसने की कार्रवाई के प्रति प्रतिरोध था। वहीं राज्य सरकार ने भी इस बात को सही बताया है और कहा कि सरकार इस मामले में उचित कदम उठा रही है।
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दूसरी तरफ मणिपुर में कुकी जनजाति के विधायकों और नागरिक संगठनों ने मणिपुर सरकार से बात करने से इनकार कर दिया है। कुकी जनजाति के अलग राज्य बनाने की मांग जारी है। कुकी जनजाति के राज्य में हिंसा के बाद अलग राज्य के गठन की मांग की थी जिसे सीएम एन बीरेन सिंह ने ठुकरा दिया था। इसी के चलते कुकी जनजाति के 8 विधायकों और नागरिक संगठनों ने बीरेन सिंह सरकार ने बात नहीं करना तय किया है। बुधवार को आइजवाल में हुई बैठक में भाजपा विधायक सहित कुकी-जोमी-हमार जनजाति के नागरिक संगठनों की बैठक हुई। जिसमें तय किया गया कि इस संकट का एकजुट होकर सामना किया जाएगा।