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रायसिना हिल्स से राजपथ तक क्या-क्या बदल गया? 26 मई को हो सकता है, सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट लॉन्च।

सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट, नए संसद भवन का इंतजार अब खत्म होने वाला है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही इसका औपचारिक रूप से उद्घाटन कर सकते हैं। विवादों में रहा नया संसद भवन अब पूरा हो चुका है।

पिछले कुछ सालों से नया संसद भवन विवादों में रहा। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर खूब उछाला। इसकी आवश्यकता पर संदेह व्यक्त करते हुए, इसे फिजूलखर्ची बताया।
वही भारतीय जनता पार्टी ने इसकी उपयोगिता जाहिर करते हुए, आगामी भविष्य की रणनीति को साथ में लेते हुए। इस प्रोजेक्ट का महत्व बताया। इस प्रोजेक्ट की आधारशिला 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने रखी थी।

उस समय उन्होंने कहा था। भारत के संसद भवन के निर्माण की शुरुआत हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। ब्रिटिश काल की यादों को समाप्त करना तथा आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने का लक्ष्य रखते हुए इस भवन की उपयोगिता बताई गई।

आपको बता दें, इससे पहले हमारी संसद का डिजाइन लुटियन ने तैयार किया था। इतना ही नहीं भवन के चारों तरफ जो पेड़ पौधे और भव्यता नजर आती है। वह भी लुटियन और उनके एक साथी मित्र की ही देन है। क्योंकि अब सरकार ने किंग्सवे क्वींसवे जैसे पथ के नाम भी बदल दिए। ऐसे में नया नाम याद दिलाएगा। हमारे आजादी के संघर्ष में बलिदान हो गए महापुरुषों, शहीदों की।

क्या है खास?

नया सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 64512 वर्ग मीटर के दायरे में बनी इमारत में 4 मंजिले होंगी। जहां 1224 सांसद बैठ सकते हैं। इस भवन में तीन मुख्य द्वार होंगे। जिनका नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार होगा। ऐसा लगता है इन द्वाऱो का नामांतरण मोक्ष की अवधारणा से लिया गया है। जैसे  ज्ञान, भक्ति और कर्म मार्ग। इस भवन में विजिटर अलग-अलग द्वार से प्रवेश करेंगे।

जहां लाइब्रेरी के साथ-साथ कई समितियां और ड्राइंग रूम भी होंगे। भवन का निर्माण इस प्रकार से बनाया गया है। जिससे कि यह आने वाले समय में सांसदों की बढ़ती हुई संख्या को भी समाहित कर सके। भवन में सांसदों और मुख्य विशिष्ट अतिथियों की अलग से एंट्री होगी। भवन बहुत विशाल है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर

माना जा रहा है कि जी-20 देशों के संसद स्पीकर की बैठक इस नए भवन में आयोजित हो सकती है? साथ ही इस भवन का 26 मई को हो सकता है उद्घाटन।
भवन की सबसे मुख्य विशेषता संविधान हॉल है। जहां संविधान की मूल प्रति रखी जाएगी। इसके अलावा महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू और भारत के अन्य मुख्यमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी संसद भवन में मौजूद होंगी। इतना ही नहीं प्राचीन कोणार्क सन टेंपल का मॉडल भी इस संसद में होगा।

आपको बता दें, आगामी समय में लोकसभा और राज्यसभा का दायरा बढ़ने वाला है। बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में अगला संविधान संशोधन जब होगा। तब इसकी उपयोगिता और अधिक सिद्ध होगी। वैसे नया संसद भवन अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी, सुविधाओं से परिपूर्ण ऊर्जा कुशल होगा।

त्रिकोणीय आकार में बनी यह इमारत सर्व सुविधा से युक्त है। जिसमें भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य, वास्तुकला का समावेशन देखने को मिलेगा। इसकी डिजाइन योजना में केंद्रीय संविधानिक गैलरी को स्थान दिया गया है आम लोग भी इसे देख सकेंगे।

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