जयपुर। Chaitra Navratri 2024 : आज 26 अप्रैल से हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar 2024) का पहला महीना, चैत्र शुरू हो चुका है। परंतु अब 15 दिन बाद यानी 9 अप्रैल को हिंदू नववर्ष (Hindu New Year) शुरू होने वाला है। आपको बता दें कि इन 15 दिनों की गिनती नए साल में नहीं की जाती है। ऐसा इसलिए कि इन दिनों चंद्रमा अंधेरे की ओर यानी अमावस्या की तरफ बढ़ता है और लगातार घटता है जिस वजह से अंधेरा बढ़ता है। सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने के लिए कहता है। इस वजह से चैत्र महीने की अमावस्या के दूसरे दिन की तिथि शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से चंद्रमा बढ़ने लगता है तभी से नववर्ष मनाया जाता है।
सनातन धर्म के कैलेंडर के अनुसार काल गणना में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को ही नया साल शुरू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रह्म और नारद पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। सृष्टि की रचना के लगभग 2 अरब साल बाद सनातन सम्राट विक्रमादित्य ने नया संवत् शुरू किया था जो उसी दिन से शुरू होता है जिस दिन सृष्टि की रचना हुई थी। इसी तिथि को ब्रह्माण्ड पुराण में नव संवत्सर की पूजा करने का विधान है। तिथि और पर्व का निर्धारण करने वाले ग्रंथ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में भी इसी तिथि को पुण्यदायी माना गया है और युगादि कहा जाता है। इसका मतलब ये है कि इसी तिथि से सतयुग शुरू हुआ था।
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सूर्य सिद्धांत की गणना ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार 13902 ई.पू विवस्वान संवत में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष से नववर्ष चालू होता था। फिर श्रीराम के पूर्वज राजा इक्ष्वाकु ने 8576 ईस्वी पूर्व इसी तिथि पर अपने नाम से इक्ष्वाकु संवत चालू किया था। इसके बाद भगवान परशुराम के काल में भी इसी समय नववर्ष शुरू किया गया। सनातन नव वर्ष की काल गणना सूर्य और चंद्रमा से होती है। प्रतयेक 3 साल में ये सूर्य और चंद्रमा एकसाथ पहले नक्षत्र अश्विनी और पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और चंद्रमा की ये युति चैत्र शुक्ल की पहली तिथि पर ही बनती है।
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उज्जैन के परमार वंश के राजा विक्रमादित्य ने 57-58 ईसा पूर्व मतलब 2080 साल पहले चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को ही नया साल मनाया था जिसके बाद आज तक विक्रम संवत चला आ रहा है। आपको बता दें कि विक्रम संवत में महीनों (Vikaram Samvat Months) की गिनती 2 तरह से होती है। नए महीने की शुरूआत महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद होती है। जबकि, उत्तर भारत में पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है जिस वजह सेस होली के अगले दिन नया महीना तो शुरू हो जाता है परंतु हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन खत्म होने के बाद शुरू होता है।
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