इसरो ने 14 जुलाई को 2.35 बजे भारत के तीसरे मून मिशन को लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा। चंद्रमा पर इसकी लैंडिंग 23 अगस्त के बाद कभी भी हो सकती है। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और नवाचार में एक नया मील का पत्थर साबित होगा।
मिशन 3 की सफलता पर टिके हैं इसरो के अभियान
जैसे ही चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष में जाने के लिए उड़ान भरी वैसे ही भारतीयों ने 23-24 अगस्त का इंतजार शुरू कर दिया है। 2019 की असफलता के बाद अपने मनोबल को कायम रखते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे 4 साल बाद फिर से चांद पर जाने के लिए रवाना किया। चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग के बजाय तेजी से चांद से टकराया था। अब चंद्रयान-3 का यह 40 दिन का इम्तिहान कल से शुरू हो चुका है। इस मिशन की कामयाबी काफी महत्वपूर्ण है। चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग भारत के लिए इतिहास रच देगी। साथ ही यह मिशन इसरो के आगामी अंतरिक्ष अभियानों का भी रास्ता साफ करेगा।
मिशन डायरेक्टर एस मोहन कुमार ने बताया कि जिस भीमकाय रॉकेट एलवीएम3 से चंद्रयान-3 को स्पेस में भेजा गया वो बहुत ही भरोसेमंद रॉकेट साबित हुआ है। इस रॉकेट ने अब तक 6 सफल अभियानों में अपनी भूमिका निभाई है। लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद फैट ब्वाय के नाम से लोकप्रिय एलवीएम3-एम4 राकेट ने यान को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया।
ऐसे पहुंचेगा चांद तक
चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंच चुका है। अब यह यान कुछ दिनों तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। फिर चांद की कक्षा में भी चक्कर लगाएगा। जब चंद्रयान चांद की सबसे निकट की कक्षा में पहुंचेगा तब वहां से लैंडर-रोवर चांद की सतह की ओर बढ़ेंगे। 1 अगस्त के बाद यान को चांद की कक्षा की ओर भेजा जाएगा। इसके बाद सभी का इंतजार खत्म होगा और 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर यान का लैंडर चांद पर उतरेगा।