- रूस की थी चंद्रयान-2 में भागीदारी
- भारत के मिशन से बाहर हुआ रूस
- फेल हुआ रूस मून मिशन
चंद्रयान-3 को एक बार फिर से अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार करने में कई साल लग गए। चंद्रयान 2 मिशन के समय अगर रूस ने भारत के साथ धोखा नहीं किया होता भारत कब का इतिहास रच देता। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर चंद्रयान 2 मिशन को चांद पर भेजा था लेकिन अंतिम समय पर रूस की धोखेबाजी की कीमत भारत को चुकानी पड़ी थी।
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रूस की थी चंद्रयान-2 में भागीदारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस का लूना-25 जो शनिवार को क्रैश हुआ, इसमें लगे लैंडर का एक पुराना वैरिएंट भारत के चंद्रयान 2 पर जाना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत का पैसा और समय दोनों बर्बाद हुआ। जो मिशन 2011-12 के बीच लॉन्च होना था वो 2019 में लॉन्च हुआ। अगर रूस की ओर से बराबर सहयोग मिलता तो इसरो बहुत पहले चंद्रयान-2 को लॉन्च कर चुका होता। साथ ही समय और पैसे की भी बचत होती। इस बात का शायद ही अधिक लोगों को पता होगा कि चंद्रयान-2 मिशन में रूस की भागीदारी थी।
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भारत के मिशन से बाहर हुआ रूस
दरअसल चंद्रयान-2 को रूस के साथ मिलकर डिजाइन किया गया था। भारत ने इस अंतरिक्ष यान में रॉकेट और ऑर्बिटर लगाया था जबकि रूस ने लैंडर और रोवर उपलब्ध कराया था। रूस ने जिस तरह के लैंडर और रोवर डवलप किए उनमें समस्याएं सामने आईं। इसके बाद रूस ने लैंडर की डिजाइन में बदलाव किया जो भी सही नहीं था। नया डिजाइन भारतीय रॉकेट के लिए फिट नहीं बैठ रहा था। आखिर में रूस चंद्रयान-2 मिशन से बाहर हो गया। इसरो ने खुद स्वदेशी लैंडर और रोवर विकसित कर लगाए। इस पूरी प्रक्रिया में 7 साल लग गए और 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ।
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फेल हुआ रूस मून मिशन
भारत की ओर से मिशन मून लॉन्च होने के बाद रूस ने भी अपना मून मिशन लूना-25 चंद्रमा पर भेजा। रूस का लूना-25 भारत कें चंद्रयान-3 से पहले लैंड होना था लेकिन लूना-25 चांद की सतह पर उतरने से पहले क्रैश हो गया। रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने रविवार (20 अगस्त) को इस बात की पुष्टि की है।