Chunav me ED CBI : हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। यहां पर सबको अपनी बात कहने विचार व्यक्त करने और अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है। अधिकारों और कर्तव्यों की सही तरह से पालना सुनिश्चित करने के लिए ही विभिन्न तरह की सरकारी एजेंसियां बनाई गई है। यानी अगर कोई नियमों के विरुद्ध कार्य करता है तो फिर उसके विरुद्ध नियमों के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है। लेकिन जब कभी सरकारें चुनाव के समय इन्हीं सरकारी एजेंसियों (Chunav me ED CBI) का दुरुपयोग करने लग जाती है तो फिर इस मुद्दे पर सवाल उठना तय है। तो चलिए आज इस मुद्दे पर खुलकर बात की जाए। आपसे एक गुजारिश है कि इस खबर को सियासत के चश्मे के बगैर पढ़े यानी बिना किसी अंधभक्ति के एक भारतीय होने के नाते जरा ठंडे दिमाग से सोचें कि क्या हम देश को तानाशाही की तरफ धकेल तो नहीं रहे हैं। क्योंकि जब जनता ही सो जाती है तो फिर उस देश का नसीब भी सो जाता है। बातें कड़वी हैं मगर सच्ची हैं। सोचो सोचो यारों –
यह भी पढ़ें : Phalodi Satta Bazar 9 May 2024: सट्टा बाजार में 300 से कम सीटों पर सिमटी BJP ,PM मोदी को झटका!
देश में इस समय चुनावी घमासान मचा हुआ है। बात चाहे ईडी की हो या सीबीआई की हो या इनकम टैक्स की हो, यह सभी सरकारी एजेंसियां नीति नियमों की सही पालन को सुचारू रूप से लागू करने के लिए ही बनाई गई है। लेकिन अगर कोई इनका इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के ही लिए करने लग जाए तो फिर इससे खतरनाक बात कोई नहीं हो सकती। सत्ताधीन पार्टी द्वारा बार बार विपक्षी दलों पर ईडी सीबीआई की रेड (Chunav me ED CBI) मारी जाती है। ताजा उदाहरण दिल्ली के सीएम केजरीवाल है जो फिलहाल जेल से बाहर आ चुके हैं। कुछ लोग इसे सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग बता रहे हैं। क्योंकि अगर कार्रवाई करनी ही थी तो फिर इतने दिन का इंतजार क्यों। जैसे ही चुनावी माहौल शुरू होता है सरकारी एजेंसियां इस तरह से छापेमारी की कार्रवाई करने लग जाती है। अब सवाल यह उठता है कि इन एजेंसियों को आगे से ऑर्डर कहां से मिलते हैं। यह अपने आप तो काम करती नहीं है। इन्हें आदेश देने वाले भी आखिर कोई न कोई राजनेता ही होते हैं।
जनता से जुड़े असल मुद्दो और समस्याओं पर और भी ज्यादा जानकारी के लिए हमारे WhatsApp Channel से जुड़े।
तो हमारा सवाल यह नहीं है कि अहम राजनेताओं पर छापेमारी (Chunav me ED CBI) की कार्रवाई क्यों की जा रही है। हमारा सवाल इस राजनीतिक परिदृश्य से ऊपर उठकर यह है कि आखिर सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल पर कौनसी संवैधानिक संस्था आचार संहिता लगाएगी। यानी चुनावी समय में यह कौन तय करेगा कि कौन सी सरकारी एजेंसी सही नियमों के अंतर्गत काम कर रही है। या फिर बदले की भावना के तहत यह सरकारी एजेंसियां राजनीतिक आकाओं के हाथ की कठपुतलियां बनती जा रही हैं। क्योंकि इन एजेंसियों का दुरुपयोग कहीं ना कहीं राजनीतिक अराजकता को जन्म देगा।
यह भी पढ़ें : Phalodi Satta Bazar 4 June 2024: 4 जून के बाद कई नेताओं की जाएगी कुर्सी, सट्टा बाजार का बड़ा दाव
हम न बीजेपी के पक्ष में बोल रहे हैं न कांग्रेस के पक्ष में बोल रहे हैं हम तो जनता के पक्ष में बोल रहे हैं। वही जनता जो अपनी उंगली का इस्तेमाल करके एक मामूली से नेता को सर्वोच्च पद तक पहुंचाती है। उसे यह जानने का अधिकार है सवाल करने का अधिकार है कि आखिर इन सरकारी एजेंसियों (Chunav me ED CBI) की कमान किसके हाथ में है और जिस तरह से चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के लिए आचार संहिता लागू की जाती है, ठीक वैसे ही इन सरकारी एजेंसियों को भी चुनाव आयोग के दायरे में लाना चाहिए ताकि इनके दुरुपयोग की संभावनाएं पूरी तरह से खत्म की जा सके। एक शेर से अपनी बात खत्म करूंगा –
ज़ुबान जिसे खोली वही निशाने पर,
ख़िलाफ़ जो बोला लगा ठिकाने पर।
किससे शिकायत करे अब आवाम यहां,
‘शाह‘ आमादा है खुद रियासत मिटाने पर।। poetry by RockShayar
शाह – राजा, शासक, Ruler
Jaipur News : जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) के निर्देश पर…
Madan Rathore News : जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) आज (गुरूवार) श्रीगंगानगर…
जयपुर। Sas Ki Sas Banungi Main : राजस्थान की राजधानी जयपुर अपनी कई खूबियों की…
Kirodi Meena News : राजस्थान में जहां एक ओर उपचुनावों के नतीजे आने वाले हैं।…
Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग…
Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है,…