अयोध्या में Ram Mandir निर्माण के उद्धाटन की तैयारियां बड़े स्तर पर चल रही है और 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पूरा देश ब्रेसबी से इंतजार कर रहा है। देश ही नहीं दुनिया भर के कई देशों में भी राम मंदिर के अभिषेक समारोह को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। लेकिन भारत में इसको लेकर जबरदस्त राजनीति हो रही है और कई नेता इस समारोह में जाने से दूरी बना रहे है और वहीं दूसरी तरफ लगभग 50 से ज्यादा देशों के नेता इसमें शामिल होने भारत आ रहे हैं।
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PM नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होनी है। कई बड़ी हस्तियों को भी कार्यक्रम में आने का न्योता मिला है। वहीं, 55 से ज्यादा देशों के करीब 100 प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन भारत में लगभग सभी बड़े लागों को निमंत्रण भेजा जा चुका है और कई लोगों ने इसके लिए सहमति दी है तो कुछ लोगों ने इनकार किया है।
किन नेताओं ने आने से किया इनकार
'इंडिया' के कई नेताओं ने कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनने की बात कही है। कांग्रेस ने घोषणा कि वह इस समारोह का हिस्सा नहीं होगी और इसका कारण भाजपा और संघ को बताया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार द्वारा उन्हें निमंत्रण भेजा गया था लेकिन अखिलेश ने उनको पहचानने से इनकार कर दिया।
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सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने का निमंत्रण अस्विकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह धार्मिक कार्यक्रम के राजनीतिकरण के विरोध में ऐसा फैसला लिया है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भी समारोह से दूरी बना चुकी है और पार्टी के नेता और सांसद संजय राउत ने कहा, 'यह भाजपा के कार्यक्रम है।
विपक्ष एकजूट नहीं
इस मामले को लेकर विपक्ष एकजूट नहीं दिखा क्योंकि कई विपक्षी दलों ने इसमें शामिल होने का ऐलान कर दिया है। लेकिन इस प्रकार की राजनीति को लेकर पूरा देश नेताओं के बयानों को सुन रहा है। वहीं बीजेपी ने कहा कि यह वही लोग है जो राम मंदिर नहीं बनने देते थे। आज मंदिर बन गया तो इनको हैरानी हो रही है और इनके नहीं आने से देश की जनता जवाब देगी।