जयपुर। कर्नाटक में कांग्रेस ने प्रचंड जीत दर्ज की है, हालांकि यह कांग्रेस की यह जीत केजरीवाल की राह पर चल कर हुई है। आपको बता दें कि इस जीत के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। इनमें से एक लुभावने वादों की झड़ी भी है। आसान भाषा में इन्हें रेवड़ी या फ्रीबीज कह सकते हैं। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर लोगों से इन वादों को पूरा करने को कहा था। जानकार कहते हैं कि इन्हें पूरा करने में ही हजारों करोड़ रुपये के बजट की जरूरत होगी। यह राज्य के बजट को बड़ा झटका देगा। इस मद में 62,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।
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लंबी है कांग्रेस फ्रीबीज वादों की लिस्ट
कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने वादों की लंबी फेहरिस्त रखी थी। ये उसके घोषणापत्र का हिस्सा थे। उसने कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो कर्नाटक की जनता को गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। इसके साथ ही गृह लक्ष्मी स्कीम के तहत परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2 हजार रुपये दिए जाएंगे। अन्ना भाग्य योजना में बीपीएल कार्डधारक परिवारों को 10 किलो अनाज मुफ्त मिलेगा।
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युवा निधि के तहत इतना खर्च
युवा निधि के तहत बेरोजगार ग्रेजुएट को 3,000 रुपये दिए जाएंगे। बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 1500 रुपये प्रति माह मिलेंगे। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन और बेंगलुरु महानगर परिवहन निगम बसों में सभी महिलाओं को फ्री यात्रा करने को मिलेगी। ये सभी बेनिफिट दूसरे वादों के अतिरिक्त हैं। इन दूसरे वादों में डीप-सी फिशिंग के लिए हर साल 500 लीटर टैक्स फ्री डीजल और बंदी के दौरान सभी मछुआरों को लीन पीरियड अलाउंस के तौर पर 6,000 रुपये जैसे वादे शामिल थे।
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हर साल 62,000 करोड़ का खर्च
आपको बता दें कि अकेले कैश पेमेंट और बिजली सब्सिडी में हर साल 62,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसका बोझ राज्य के खजाने पर पड़ेगा। 62,000 करोड़ रुपये की यह रकम राज्य के बजट का करीब 20 फीसदी है। वादों को पूरा करने पर फ्रीबीज पर खर्च होने वाली रकम पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटे जितनी है। कर्नाटक के 2023-24 के बजट में 2022-23 के लिए राजस्व घाटे का अनुमान 60,581 करोड़ रुपये था।