RRTS प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन के लिए फंड देने से इनकार करने वाली दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फटकार लगाई है। देश की शीर्ष अदालत ने पिछले तीन सालों में विज्ञापनों पर खर्च होने वाले पैसों का भी हिसाब मांगा था। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है।
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दिल्ली की सरकार को यह राशि दो महीने में एससी को देनी होगी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाते हुए कहा कि 3 साल में विज्ञापनों पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते है, तो निश्चित तौर पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी वित्त पोषित किया जा सकता है।
यहां समझे पूरा मामला
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए राशि देने में असमर्थ है। आप सरकार का कहना है कि उनके पास फंड की कमी है। इसलिए वो RRTS प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पैसे नहीं दे सकते। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि आपने पिछले 3 सालों में विज्ञापनों पर कितना पैसा खर्च किया है। खर्च की गई राशि का विवरण 2 सप्ताह के भीतर पेश करें।
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जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा था कि 2 हफ्ते में एक एफिडेविट फाइल करनी होगी जिसमें पिछले तीन वित्तीय वर्ष के दौरान विज्ञापनों पर खर्च होने वाली राशि का विवरण होना चाहिए। बता दें कि अगर दिल्ली में RRTS के निर्माण हो जाता तो दिल्ली का राजस्थान और हरियाणा से सड़क रूट से संपर्क आसान हो जाता। लेकिन दिल्ली सरकार इसके लिए फंड देने में असमर्थता जता रही है।