Delhi Jama Masjid: मुसलमानों की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद एक बार फिर चर्चा में है। इस बार विवादित फतवे को लेकर Deoband सुर्खियों में बना हुआ है। हालांकि देवबंद को लेकर तालीम की बात होती है, लेकिन विवादित फतवा देकर Deoband बुरी तरह फंसता हुआ नजर आ रहा है। सरकार ने बड़ा एक्शन लेने का फैसला लिया है। Deoband ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से गजवा ए हिंद का फतवा जारी किया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने एक्शन लेते हुए इस फतवे को राष्ट्र विरोधी करार दिया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या मामला है देवबंद और बाल संरक्षण आयोग का।
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देवबंद क्या है?
भारत ही नहीं दुनिया भर में दारुल उलूम देवबंद का नाम बड़े ही एहतराम के साथ लिया जाता है। यहां पर इस्लामी तालीमात की बेहतरीन एजुकेशन दी जाती है। 30 मई 1866 में हाजी आबिद हुसैन और मौलाना कासिम नानौतवी ने Deoband की स्थापना की थी।
दारुल उलूम का अर्थ क्या है?
दारुल उलूम एक अरबी लफ्ज़ है। जैसे शिक्षा का मंदिर है हिंदी में वैसे ही दारुल उलूम का मतलब ‘ज्ञान का घर’ होता है। यहां भारत के साथ ही दुनिया के कई देशों से स्टूडेट्स इस्लामी शिक्षा हासिल करने आते हैं। पूरी दुनिया में ये अपनी शिक्षा पद्धति के लिए जाना जाता है। लेकिन फालतू के फतवे जारी करने के चक्कर में दारुल उलूम देवबंद ने अपनी इमेज खराब कर ली है।
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गजवा-ए-हिंद क्या बला है?
गजवा-ए-हिंद ये शब्द आपने भी फिल्मों में आतंकवादियों को कहते हुए सुना ही होगा। दरअसल गजवा-ए-हिंद यानी इस्लाम को भारत में फैलाने के लिए की जाने वाली जंग को कहा जाता है। गजवा-ए-हिंद का मतलब भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले गैर मुस्लिमों को तलवार के बल पर मुस्लिम बनाने से है।
इस्लाम में जबरदस्ती धर्मांतरण की इजाजत नहीं
कुरआन और हदीस में जबरन किसी का धर्म बदलने की इजाजत नहीं है। किसी पर जबरन इस्लाम थोपना गलत माना गया है। लेकिन चंद सिरफिरे मुसलमानों ने अपनी एक बुरी सोच बना रखी है। देवबंद को इस बारे में सोचना चाहिए कि उनके एक गलत फतवे से पूरी दुनिया के और भारत के मुसलमानों को कितनी दिक्कत पेश आती हैं।