Delhi Jama Masjid: भारत की मशहूर दिल्ली की जामा मस्जिद इन दिनों चर्चा में है। Delhi Jama Masjid के शाही इमाम अहमद बुखारी ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है। अपने बेटे नायब इमाम शाबान बुखारी को Delhi Jama Masjid की शाही इमामत सौंपने का ऐलान इमाम अहमद बुखारी ने कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस्लाम धर्म में शाही इमाम का पद कहीं नहीं लिखा हुआ है। केवल भारत में यह परंपरा 400 सालों से चली आ रही हैं। शाही इमाम का पद मुगलों की देन है।
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शरीयत नें नहीं तो फिर शाही इमाम क्यों?
Delhi Jama Masjid के शाही इमाम की 400 साल से भी पुरानी इमामत आज भी एक ही वंश के हाथ में है। हालांकि सऊदी अरब और दूसरे इस्लामी देशों में ऐसी कोई अनुवांशिक इमामत की परंपरा देखने को नहीं मिलती है। ताज्जुब की की बात है कि शाही इमाम की ये परंपरा 400 सालों से Delhi Jama Masjid में आज भी कायम है। और 25 फरवरी 2024 को 14वे शाही इमाम शाबान बुखारी की ताजपोशी है।
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वक्फ बोर्ड क्या कहता है?
जामा मस्जिद की देखरेख करने वाले दिल्ली वक्फ बोर्ड ने शाही इमामत के खिलाफ कई बार आवाज उठाई है। लेकिन हर बार दिल्ली वक्फ बोर्ड के हाथ नाकामी ही लगी। क्योंकि शाही इमाम काफी ताकतवर पद है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि शाही इमाम बुखारी जामा मस्जिद को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं। जबकि देखा जाए तो जामा मस्जिद एक राष्ट्रीय संरक्षित इमारत है। ऐसे में दूसरी सभी मस्जिदों और दरगाहों की तरह, Delhi Jama Masjid भी भारत सरकार की संपत्ति है। यही वजह है कि इसका प्रबंधन दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा सालों से किया जाता रहा है। इतना ही नहीं शाही इमाम को सैलेरी भी यही बोर्ड देता है।