नई दिल्ली सिविल लाइंस स्थित केजरीवाल के सरकारी बंगले को लेकर फिर एक नया विवाद सुर्खियों में है। क्या है नया मामला? जिसमें चीफ सेक्रेटरी से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।
क्या है भाजपा का दावा
भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि केजरीवाल सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी बंगले के पुनरुत्थान (रिनोवेशन) लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि केजरीवाल ने बंगले की भव्यता को बढ़ाने के लिए विदेशी संगमरमर, टीवी, पर्दे, आलीशान गलीचो पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
इस पर दिल्ली के उपराज्यपाल एलजी वीके सक्सेना और सीएम केजरीवाल के बीच फिर से तनातनी हो गई है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस अनियमितता की जांच के लिए मुख्य सचिव से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि सूत्रों से पता चला है कि 42.70 करोड रुपए की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड रुपए सिविल लाइंस में केजरीवाल के सरकारी आवास के अतिरिक्त निर्माण या बदलाव पर खर्च किए गए। यह राशि सितंबर 2020 से जून 2022 के बीच 6 किस्तों में खर्च की गई।
वही इन आरोपों का खंडन करते हुए। आप के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा मुख्यमंत्री आवास लगभग 70,- 80 साल पहले 1942 में आजादी से पहले बना था। ऐसे में दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ऑडिट के बाद इसके रिनोवेशन की सिफारिश की थी।
दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। यह पुनर्निर्माण( रिनोवेशन )नहीं था। बल्कि पूरे पुराने ढांचे को हटाकर नया ढांचा बनाने की प्रोसेस थी। दस्तावेजों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कुल खर्च में 11. 30 करोड रुपए इंटरनल डेकोरेशन के लिए खर्च हुए हैं। 6. 02 करोड़ रुपए संगमरमर, मार्बल और 1 करोड़ रुपए इंटीरियर कंसलटेंसी के दिए गए हैं।
इसी प्रकार 2.85 करोड़ रुपए फायर बिग्रेड प्रणाली के लिए 2.58 करोड रुपए बिजली संबंधी फिटिंग के लिए और 1.41 करोड रुपए वॉर्डरोब और एसेसरीज फिटिंग पर खर्च हुए। इतना ही नहीं रसोई के उपकरणों पर भी 1.1 करोड़ रुपए का खर्चा इसमें शामिल है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सेंसेटिव रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव से मामले के सभी रिकॉर्ड सुरक्षित और संरक्षित कस्टडी में लेने का निर्देश एल जी द्वारा दिया गया है। इसी के साथ रिपोर्ट्स की जांच 15 दिन के भीतर सौंपने का निर्देश दिया गया है।