मुंबई: मुम्बई का प्रख्यात चिकित्सा केन्द्र: बाम्बे हॉस्पिटल का बिरला मातुश्री सभागार। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की अलख जागने वाले, एक करोड़ से ज्यादा लोगों को नशामुक्ति को संकल्प कराने वाले, राष्ट्रसंत, कुशल समाज सुधारक, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में मुम्बई महानगर की एक विकराल समस्या ड्रग्स से लोगों को निवारित करने हेतु अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा आयोजित एलिवेट कार्यक्रम। इस कार्यक्रम में संभागी बनने हेतु बॉम्बे हॉस्पिटल के चेयरमेन श्री बीके तापड़िया, एलआईसी के चेयरमेन श्री सिद्धार्थ मोहंती, ज्वाइंट सीपी श्री सत्यनारायण चौधरी, बीएमसी के म्यूनिसिपल कमिश्नर श्री इकबाल सिंह चहल, अभिनेता सुनील शेट्टी, संगीतकार अन्नु मलिक आदि-आदि अनेक डॉक्टर्स व जनता।
एलिवेट कार्यक्रम का शुभारम्भ युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। एलिवेट से संदर्भित वीडियो प्रदर्शित की गई। इस कार्यक्रम के संयोजक व बाम्बे हॉस्पिटल के सिनियर फिजिशियन डॉ. गौतम भंसाली ने स्वागत के संदर्भ में अभिव्यक्ति दी।
मुम्बई के ज्वाइंट सीपी श्री सत्यनारायण चौधरी ने कहा कि ड्रग्स फ्री मुम्बई का अभियान महाराष्ट्र सरकार व पुलिस भी चला रही है, किन्तु आज यह जो कार्यक्रम आचार्यश्री महाश्रमणजी की सन्निधि में आयोजित हो रहा है, यह महत्त्वपूर्ण है। ड्रग्स का नशा जाति, धर्म, अमीर, गरीब देखकर नहीं, बल्कि सभी में समान रूप फैल रहा है। मुम्बई पुलिस ने 2000 से ज्यादा स्कूलों में इसके जागरूकता का प्रयास किया, किन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण इसमें आचार्यश्री का मंगल आशीर्वाद है। आपकी प्रेरणा लोगों के मन तक पहुंचती है, जो लोगों को मुक्त कराने में सार्थक सिद्ध हो सकता है।
महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित विशिष्ट लोगों, डाक्टर्स और उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में सुख भी है तो दुःख भी है। दुःख से आदमी को अच्छी प्रेरणा प्राप्त हो सकती है। जीवन में कष्ट, कठिनाई आती है तो आदमी सम्भलता है, कठिनाइयों से पार पाने प्रयास कर सकता है और इससे वह मजबूत बनता है। जीवन में कभी शारीरिक, मानसिक दुःख होता है। जीवन के सभी प्रकार दुःखों के मूल में राग-द्वेष ही होते हैं। राग-द्वेष की कर्म के बीज भी हैं। इस कर्मों के बीज राग-द्वेष का उन्मूलन कर दिया जाए तो आदमी दुःखों से मुक्त हो सकता है। शारीरिक कष्ट को एक बार तो डॉक्टर दवा आदि के द्वारा ठीक भी कर दे, किन्तु मानसिक कष्ट को दूर कर पाना उनके वश की बात नहीं होती। राग-द्वेष को अध्यात्म के द्वारा दूर किया जा सकता है। इसके नाश के लिए संवर-निर्जरा की साधना करने का प्रयास करना चाहिए।
ईमानदारी मानों आध्यात्मिक चिकित्सा का केन्द्र है। आदमी को ईमानदारी रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी किसी भी प्राणी को दुःख नहीं दे, पूर्णतया अहिंसा का पालन करने का प्रयास हो। आदमी को अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। मानव जीवन में संयम भी होना चाहिए। जीवन संयमित हो, अहिंसा की चेतना हो, जीवन में ईमानदारी हो। जीवन में नशामुक्तता रहे।
भारतीय जीवन बीमा निगम के चेयरमेन श्री सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि मुझे महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप जैसे संत-मुनि से आध्यात्मिक प्रेरणा मिले तो समाज नशे से मुक्त हो जाएगा।
मैं परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी की बात से पूर्णतया सहमत हूं कि परिवार अच्छे से ध्यान रखे, परस्पर अच्छा संबंध रहे, परिजन अपने बच्चों का ध्यान रखें तो बच्चों का नशे से बचाव हो सकता है। जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो तो नशामुक्तता रह सकती है। मैं आचार्यश्री द्वारा दी गई प्रत्येक प्रेरणा से प्रभावित हूं।
बाम्बे हॉस्पिटल के चेयरमेन ने कहा कि मैं परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपने हॉस्पिटल परिसर में हार्दिक स्वागत करता हूं। यह हम सभी का सौभाग्य है कि आपके कल्याणकारी चरण यहां पड़े हैं। आप हमारे डॉक्टरों का ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें हम आगे भी जनता की सेवा करते रहें।
आज आचार्यश्री की बात दिल पर लगी। मैं अपने जीवन में सच बोलने के कारण मार खाई है, फिर भी सच ही बोलता हूं। थोड़ा गुस्सा जरूर आता है, लेकिन आचार्यश्री की प्रेरणा से दूर करने का प्रयास करूंगा। श्री मलिक ने ड्रग्स निवारण के संदर्भ में आचार्यश्री से प्रेरणा लेकर तुरंत रचित एक गीत की कुछ पंक्तियां सुनाईं।
इसके अलावा प्रसिद्ध अभिनेता श्री सुनील शेट्टी, न्यूरो के डीन व डॉ. एसवी खाडीकर, एमएमआरडीए के कमिश्नर श्री संजय मुखर्जी, अणुव्रत विश्व भारती आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मननकुमारजी, मुनि अभिजितकुमारजी, मुनि जागृतकुमारजी, अणुविभा के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर, ट्रस्टी श्री सुमतिचंद गोठी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। श्री अशोक कोठारी ने आभार ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमारश्रमणजी ने किया। आचार्यश्री ने मंगलपाठ सुनाने से पूर्व अणुव्रत गीत का आंशिक संगान किया।
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