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Makar Sankranti पर गंगा स्नान और 60 हजार का रहस्य जानिए

 

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी या गंगासागर में स्नान करने की परंपरा चली आ रही है। इस वर्ष Makar Sankranti 15 जनवरी को मनाई जा रही है। पौराणिक कथाओं और महत्त्व के आधार पर इस दिन किसी भी नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य अर्जित किया जा सकता है। 

 

धार्मिक मान्यता ये हैं कि 'मकर संक्रांति' के दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं। जो लोग गंगा स्नान के लिए बाहर नहीं जा सकते है, वे लोग घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करते है। पानी में काले तिल डालकर स्नान करने का भी महत्व है, जो नीचे पैराग्राफ में हम आपको बता रहे है। 

 

इंद्र ने चुराया अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा

 

पौराणिक कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था। राजा सगर तीनों लोकों में प्रसिद्ध थे। राजा का महिमामंडन देख इंद्र बेहद क्रोधित और चिंतित था। इस बीच राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया तो इंद्र ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया। राजा ने मुनिवर के आश्रम में घोड़े देख चोरी का आरोप लगा दिया। मुनिवर क्रोध से लाल हो गए थे। 

 

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राजा के 60 हजार पुत्र हुए भस्म 

 

क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया। राजा सगर को भूल का अहसास हुआ तो उसने मुनिवर से क्षमा मांगी। मुनिवर ने राजा के सभी पुत्रों के मोक्ष के लिए मार्ग सुझाते हुए कहा 'तुम मोक्षदायिनी गंगा को पृथ्वी पर लाओ।' राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने प्रण लिया कि जब तक मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाते, तब तक उनके वंश का कोई राजा चैन से नहीं बैठेगा। वे तपस्या करने लगे। 

 

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मां गंगा ने दिया पुत्रों को मोक्ष

 

राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भागीरथ ने कठिन तप से मां गंगा को प्रसन्न किया। मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। उस दिन मकर संक्रांति थी। वहां से मां गंगा आगे जाकर सागर में जाकर मिल गई, जहां वे मिलती हैं। वह जगह गंगा सागर के नाम से विख्यात है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Makar Sankranti को गंगासागर या Ganga Nadi में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पाप धुल जाता है। 

Aakash Agarawal

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