गुड्स एंड सर्विस टैक्स; देश में जीएसटी चोरी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। फाइनेंशियल ईयर 2023 में लगभग 1 लाख करोड रुपए से अधिक की जीएसटी टैक्स चोरी को देखते हुए। केंद्र और राज्य के अधिकारियों की ओर से नकली जीएसटी पंजीकरण और कर चोरी के अपराधियों को पकड़ने और रोकने के लिए अभियान शुरू किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट की माने, तो इस माह की शुरुआत में जीएसटी पॉलिसी विंग की ओर से प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ़ सेंट्रल टैक्स को एक पत्र लिखा गया था। जिसमें यह बताया गया कि कैसे नक़ली जीएसटी पंजीकरण के जरिए बिना कोई सामान और सर्विस भेजें, जिस प्रकार से कुछ जालसाज इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले रहे हैं। इसे रोकने के लिए आगामी 2 महीने 16 मई से 15 जुलाई तक यह अभियान चलाया जाएगा। जीएसटी की विभिन्न दरों सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी यूजीएसटी में धांधली बढ़ती जा रही है।
सरकार के प्रयास
जीएसटी को सरल और सुलभ बनाने के लिए सरकार लगातार इसमें सुधार और संशोधन कर रही है। अब नए जीएसटी का पंजीकरण कराने के लिए आधार बेस्ट ऑथेंटिकेशन का सहारा लिया जा रहा है। जिससे कि फर्जी या नकली जीएसटी पंजीकरण पर रोक लगाई जा सके। देश में वित्त वर्ष 2022 -23 में जीएसटी चोरी के लगभग 14000 मामले थे। वही इससे पहले यह 2020-21 में 12,596 मामले पकड़े गए थे।
अब सरकार जालसाजी को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी डाटा एनालिटिक्स का सहारा लेगी। मौजूदा समय में देश में 1.39 करोड़ कारोबार जीएसटी में पंजीकृत है। इस डिवाइस के सहारे सस्पेक्टेड और जोखिम वाले टैक्सपेयर को पहचानने के लिए सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इतना ही नहीं टैक्स चोरी करने वालों का डाटा भी एजेंसियों को शेयर किया जाएगा। जिससे कि समय रहते कर चोरी के मामले में कार्रवाई की जा सके।
जीएसटी पर सीबीआईसी ने बयान जारी करते हुए। नकली जीएसटी पंजीकरण को एक बड़ी समस्या बताया। जिसमें नकली इनवॉइस निकालकर आईटीसी ले लिया जाता है और सरकार को राजस्व का चुना लगाया जाता है। सच तो यह है कि नकली जीएसटी पंजीकरण के जरिए बिना कोई सामान और सर्विस भेजें कुछ जालसाज
इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले रहे हैं। जिससे राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है।
ऐसे में डाटा एनालिसक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन जोखिम भरे काम में मदद करेगा।