जयपुर। Haryana News: में लोकसभा चुनाव 2024 व विधानसभा चुनाव 2024 से ठीक 6 महीने पहले सरकार बदल रही है। इसके पीछे का कारण हरियाण में BJP अब अकेले ही निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाने की प्लानिंग कर रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा और निर्दलीय विधायकों के बैठक की और फिर राजभवन जाकर सीएम पद से त्यागपत्र दे दिया। अब खबरें है कि बिना जननायक जनता पार्टी के ही भाजपा हरियाणा सरकार का नए सिरे से गठन करेगी। हालांकि, मनोहर लाल नई सरकार में सीएम बनेंगे या नहीं इसको लेकर अभी संशय है। हालंकि, यह साफ हो गया है कि हरियाणा में अब बीजेपी और जेजेपी बीच अब गठबंधन खत्म हो चुका है।
Haryana में सरकार बनाने के लिए चाहिए 46 सीटें
आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं जिनमें 2019 के चुनाव में भाजपा ने 41 सीटें जीती थी। ऐसे में राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। अभी हरियाणा में कुल 7 निर्दलीय विधायक हैं। ये लोग भी भाजपा सरकार को समर्थन देने जा रहे हैं जिनके दम पर बीजेपी हरियाणा में फिर से अपनी सरकार बना लेगी। आपको बता दें कि भाजपा और जेजेपी के बीच यह करार टूटने के पीछे का कारण हाल ही में दुष्यंत चौटाला की भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में हुई बैठक है। इस बैठक चौटाला ने मांग की थी कि जेजेपी को भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार की लोकसभा सीटें दी जाएं।
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Hariyana में 10 लोकसभा सीटों का मामला
आपको बता दें कि हाल ही में हिसार से चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे ने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। इस मीटिंग में जेपी नड्डा ने हरियाणा में 1 भी सीट छोड़ने से साफ मना कर दिया था। उन्होंने चौटाला से साफ तौर पर कह दिया था कि भाजपा आपसे अलग होकर भी सभी 10 सीटों पर जीत प्राप्त कर लेगी। नड्डा द्वारा दोटूक जवाब देने की वजह से दुष्यंत चौटाला ने अमित शाह से भी मुलाकात करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद भाजपा हाईकमान से हरी झंडी मिलने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने विधायकों की मीटिंग बुलाई और निर्दलीय विधायकों से भी समर्थन पत्र लेकर राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया।
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हरियाणा में जाट वोट का ये है पूरा गणित
अब जल्द ही हरियाणा में नई सरकार शपथ बन रही है जिसमें कई नए मंत्री होने के साथ ही कुछ निर्दलियों को भी मौका दिया जा सकता है। अब बात उस रणनीति की की जाए जिसमे चलते बीजेपी ने यह पूरा खेल किया है। हरियाणा की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि बीजेपी का जेजेपी के साथ गठबंधन खत्म करना उसकी रणनीति है। क्योंकि, जेजेपी को जाट वोटरों की पार्टी माना जाता है। इसके अलावा जाटों का समर्थन इनेलो और कांग्रेस को भी जाता है। इस वजह से भाजपा की रणनीति है कि जेजेपी को भी अलग कर दें तो जाट वोट बंट जाएंगे। ऐसे में जब जाट वोट 4 हिस्सों में बंटेंगे तो गैर-जाट मतदाताओं की दम पर भाजपा फिर से सत्ता में वापसी कर लेगी। बीजेपी को इसका फायदा लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में होगा।