Iftar Party History: रमजान का मुबारक महीना आते ही इफ्तार पार्टी की चर्चा होने लगती है। भारत की राजनीति में इफ्तार पार्टियों का अलग ही महत्व हैं। देश के कई राजनेताओं ने रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी देने की परंपरा रखी है। देश के प्रधानमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्रियों ने अपने समय में ऐसी सियासी इफ्तार पार्टियों (Iftar Party History) का आयोजन किया, जिन्होंने काफी चर्चा बटोरी। लेकिन इन इफ्तार पार्टी में रोजा खोलना तो एक बहाना होता है, असल में तो मुस्लिम वोट बैंक पर अपना कब्जा जमाने का ये बेहतरीन हथियार है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि भारतीय सियासत में इफ्तार पार्टी का इतिहास कितना पुराना है।
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भारत में आजादी से पहले ही हिंदू मुस्लिम का खेल चलता रहा है। रोजा इफ्तार एक ऐसा आयोजन है जिसमें मुस्लिम बंधु जमकर भाग लेते हैं। आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। जी हां, इतना ही नहीं बीजेपी के संस्थापकों में से एक पूर्व पीएम भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई ने भी पीएम रहते हुए दो बार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। हालांकि बीजेपी में उनकी इफ्तार पार्टी को लेकर काफी विरोधाभास रहा था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 7 जंतर-मंतर रोड पर पहली बार इफ्तार पार्टी का भव्य आयोजन किया था। हालांकि उस ज़माने में कहा जाता है कि इफ्तार पार्टी शुरु करने के पीछे कांग्रेस का मकसद मुस्लिमों को विभाजन के दर्द से उबारने के साथ-साथ उनके अंदर एक भरोसा जगाना था। हालांकि लाल बहादुर शास्त्री ने पीएम रहते हुए इफ्तार पार्टी पर रोक लगा दी थी। उनके बाद जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी तो उन्होंने इफ्तार पार्टी का शानदार आयोजन किया। चूंकि उस समय कांग्रेस और मुस्लिमों के बीच काफी कड़वाहट आ गई थी। इफ्तार पार्टी का सीधा मकसद मुसलमानों को लुभाना होता है।
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बीजेपी की बात करें तो उनके प्रमुख नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पीएम रहते हुए दो बार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। उस समय के कैबिनेट मंत्री शाहनवाज हुसैन ने ये इफ्तार पार्टी के इंतजामात किए थे। बीजेपी के बाकी नेताओं की बात करें तो पार्टी के अध्यक्ष रहते हुए मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी की पहली आधिकारिक इफ्तार पार्टी आयोजित की थी।
राष्ट्रपति भवन में भी इफ्तार पार्टियां होती रही है। हालांकि जब एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इफ्तार पार्टी को बंद कर दिया था। उनके बाद प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति भवन में दोबारा इफ्तार पार्टी देने की परंपरा को शुरू कर दिया। साल 2017 में राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी ने जब अपनी आखिरी इफ्तार पार्टी दी थी, उस समय मोदी मंत्रिमंडल के सभी सदस्य इससे मौजूद नहीं रहे।
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उत्तर प्रदेश में हेमवती नंदन बहुगुणा ने साल 1974 में मुख्यमंत्री रहते हुए पहली बार सरकारी इफ्तार पार्टी की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में यूपी में इफ्तार पार्टी सीएम हाउस की एक खास परंपरा बन गई। लेकिन जैसे ही यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार्ज लिया इफ्तार पार्टी का भूत यूपी के सर से उतर गया। योगी जी ने इफ्तार पार्टी के बजाए कन्या पूजन शुरु किया। हालांकि योगी जी से पहले यूपी में बतौर सीएम मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, मायावती और अखिलेश यादव CM हाउस पर इफ्तार पार्टी देते आए हैं। यानी कुल मिलाकर नेताओँ को इफ्तार के नाम पर आम मुसलमानों की सहानुभूति बटोरनी होती है। बाकी इफ्तार तो गरीब आदमी भी पानी की घूंट से रिक्शा चलाते हुए भी कर लेता है।
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