मोक्षदायिनी एकादशी ज्योतिष पंचांग के अनुसार जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें शुद्ध मन से भगवान कृष्ण की उपासना करने से जीवन में आने वाले समस्त समस्याएं, परेशानियां विपदाएं दूर हो जाती हैं। 31 मई को निर्जला एकादशी है। इससे पहले 30 मई को गंगा दशहरा का विशेष पर्व था। दोनों ही दिन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
जहां एक और जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली निर्जला एकादशी का व्रत एक अपूर्व संभावनाओं के साथ विशेष तपस्या का फल अर्जित करने के लिए किया जाता है। वही गंगा दशहरा तन और मन दोनों को शुद्ध और पवित्र करने का विशेष पर्व है। निर्जला ग्यारस के बारे में मान्यता है कि इस एक व्रत को करने से पूरे वर्ष किए जाने वाली एकादशी का पुण्य प्राप्त होता है।
यह व्रत एक तपस्या की भांति है। जो बहुत तेज गर्मी के मौसम में आती है। जिस समय मनुष्य तीव्र भूख, प्यास से व्याकुल होता है। उस समय इस व्रत को करने से मनुष्य का आत्मबल तो बढ़ता ही है। साथ में मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सर्वोपरि और सर्वश्रेष्ठ है। इस दिन उपवास रखने से विशेष फल प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती है।
विधि विधान
निर्जला एकादशी अपने शब्दों को चरितार्थ करते हुए यह बताती है कि इस दिन निर्जल अर्थात बिना जल के व्रत करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। किंतु अब यह संभव ना हो तो आप अपनी श्रद्धा अनुसार फल फ्रूट लेकर इस व्रत को कर सकते हैं। इस दिन विष्णु चालीसा और एकादशी व्रत पाठ का वाचन किया जाता है। अंत में भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा संपन्न की जाती है। निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय, निर्जला एकादशी व्रत का पारण 1 जून को किया जाएगा यह सुबह 5:24 से सुबह 8:10 तक रहेगा।
क्या ना करें?
व्रत उपवास में क्या करें यह तो सभी को पता है लेकिन जा नहीं करें इस बात का विशेष ध्यान रखें व्रत उपवास हमेशा तन और मन की पवित्रता और शांति के लिए किया जाता है ऐसे में भूलकर भी इस दिन किसी की बुराई या चुगली ना करें। इतना ही नहीं स्वयं के राग, द्वेष और ईर्ष्या को भी मन पर हावी ना होने दें। कलुषित और दूषित मन से किया गया उपवास ईश्वर को समर्पित नहीं होता। ऐसे में आध्यात्मिक शांति पाने के लिए राग, द्वेष से दूर रहें। किसी का भी बुरा ना सोचे।
निर्जला एकादशी के विभिन्न नाम
सभी एकादशी में निर्जला ग्यारस की एकादशी सबसे बड़ी एकादशी है। इस व्रत में पूरे दिन अन्न, जल दोनों का त्याग किया जाता है। भगवान विष्णु के प्रिय दिन को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। एक पौराणिक कथा है जिसमें पांडवों में भीम को भोजन का बहुत शौक था। उससे भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। ऐसे में उससे एकादशी व्रत नहीं हुआ। तब उसे आत्मग्लानि महसूस होती थी।
इस दुविधा से उबरने के लिए भीमसेन महर्षि व्यास के पास पहुंचे। तब महर्षि व्यास ने भीमसेन को साल में एक बार निर्जला एकादशी व्रत को करने की सलाह दी। इसी पौराणिक कथा के बाद निर्जला एकादशी भीमसेन एकादशी और पांडव, एकादशी के नाम से भी जानी जाने लगी।
Subodh girls college hindi pakhwada: सुबोध पी.जी. महिला महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत कार्यक्रम…
ECGC PO Recruitment 2024: भारत सरकार की ओर से ईसीजीसी में पीओ की भर्तियां निकाली…
Food Safety Department Raid: चटख लाल तड़के वाली मलाई कोफ्ता हो या कोई और रेस्टोरेंट…
Pakistan zindabad in bhilwara Rajasthan: राजस्थान में आपत्तिजनक नारों से एक बार फिर माहौल बिगड़…
SDM Priyanka Bishnoi Death : राजस्थान की मशहूर RAS अधिकारी SDM प्रियंका बिश्नोई जिंदगी की…
Mewaram Jain meets Ashok Gehlot : जयपुर। सीडी कांड के बाद मुंह छिपाने को मजबूर…