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Aditya L1 Mission: भारत से पहले ये 5 देश भेज चुके हैं सूरज पर सैटेलाइट, जानिए भारत कितनी दौलत कमाएगा

 

  • दूसरों से क्यों अलग है भारत का आदित्य एल 1? 
  • पूरी तरह स्वदेशी है आदित्य एल1 
  • ISRO Solar Mission: सूरज पर सैटेलाइट भेजने वाले देश
  • सूर्य मिशन से भारत को होगी बंपर कमाई!

 

Aditya L1 Mission: भारत अपनी अंतरिक्ष में ताकत को लगातार मजबूत करता जा रहा है। हाल ही में चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने सूर्य पर जाने की तैयारी कर ली है। सूर्य मिशन के तहत इसरो आज श्रीहरिकोटा से आदित्य एल 1 लॉन्च करने जा रहा है। यह यान सूर्य से कुछ दूरी पर जाकर स्तिथ होगा, जहां से सूर्य का नजदीकी अध्यन करना संभव होगा। इस यान को गंतव्य तक पहुंचने के लिए करीब चार महीने का समय लगेगा।

भारत इस प्रयोग में सफल होता है तो वह सूरज पर अपना मिशन भेजने वाले देशों की लिस्ट में शुमार हो जाएगा। भारत के आदित्य एल1 मिशन से पहले सूरज तक 22 और मिशन भेजे जा चुके है। भारत के आदित्य का 23वां नंबर है। लेकिन फिर भी Aditya L1 खास हैं- 

 

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दूसरों से क्यों अलग है भारत का आदित्य एल 1? 

 

भारत भले ही सूरज के लिए अंतरिक्ष यान मिशन भेजने वाला 23वां हो, लेकिन यह अन्य के मुकाबले बेहद खास हैं। अभी तक भारत के अलावा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, जर्मन स्पेस एजेंसी डीएलआर, यूरोपियन एजेंसी ईएसए का नाम शामिल है। इसमें नासा ने 14 सन मिशन लॉन्च किए हैं। 

 

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पूरी तरह स्वदेशी है आदित्य एल1 

 

भारत का आदित्य एल 1 पूरी तरह स्वदेशी मिशन है। इस स्पेसक्राफ्ट को पूरी तरह से भारत में तैयार किया गया है। इसमें 7 पेलॉर्स लगे हैं, जिसमें 6 भारत में ही तैयार किये है। यह भारत का पहला ऐसा स्पेसक्राफ्ट है जो हर वक्त सूर्य की तरफ देखेगा यानी आग की तरफ देखेगा। 

सूर्य और पृथ्वी के बीच एक ऐसी जगह है, जहां दोनों की ऊर्जा का असर रहता है। ऐसे में इस जगह पर कोई भी चीज रहती है तो उसका लंबे समय तक वहां रुके रहना मुश्किल होता है। इसलिए आदित्य को इस तरह बनाया गया है ताकि यह सूरज की गर्मी को झेल सके। इसे खास मैकेनिज्म से तैयार किया गया है। यह सूर्य के बिल्कुल करीब नहीं जाएगा लेकिन उसके Lagrange पॉइंट पर रहकर अध्यन करेगा। यह एक तरह से अंतरिक्ष दूरबीन की तरह काम करेगा।

 

ISRO Solar Mission: सूरज पर सैटेलाइट भेजने वाले देश

 

अमेरिका- पायनियर 5- 1960, जर्मनी और अमेरिका का मिशन- हेलिओस- 1974, जापान- हिनोटोरी- 1981, यूरोपियन स्पेस एजेंसी- यूलिसिस- 1990 और चीन- AS0S- 2022 

 

सूर्य मिशन से भारत को होगी बंपर कमाई!

 

सूर्य मिशन सफल होते ही भारत के पास सूर्य को नजदीक से अध्यन करने का अवसर मिलेगा। ऐसा करके भारतीय वैज्ञानिक कई तरह की जरुरी जानकारियों का अंदाज लगा सकेंगे। संभव हैं कई तरह की मौसमी जानकारियों के बारे में आसानी से पता चलाना संभव होगा। इस तरह की अहम जानकारियों के माध्यम से भारत को कई तरह के रेवेन्यू सोर्स प्राप्त होंगे, जिनसे देश न सिर्फ दुनियाभर में अंतरिक्ष ताकत बल्कि आर्थिक ताकत भी बनेगा। 

 

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Aakash Agarawal

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