भारत सरकार का इम्पोर्ट बिल हर साल बढ़ता ही जा रहा है। कई सारी चीजें ऐसी है जिनके लिए भारत को अभी भी विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है। विदेशों से सामान खरीदने पर भारत की आर्थिक स्थिति पर तो इफेक्ट पड़ता ही साथ ही वो आत्मनिर्भर भी नहीं बन पा रहा है। इनमें अगर हम बात करें तो सबसे अधिक खर्च क्रूड ऑयल का भारी पड़ता है। साल 2022-23 के वित्तीय वर्ष में कुल 711 बिलियन डॉलर का सामान विदेशों से इम्पोर्ट किया था जिसमें से 125-130 बिलियन डॉलर का अकेले क्रूड ऑयल इम्पोर्ट किया गया था। इसका मतलब यह है कि हमें क्रूड ऑयल के लिए 18-20 प्रतिशत कॉस्ट देनी पड़ती है। वो तो अच्छी बात यह है कि रसिया भारत को डिस्काउंटेबल प्राइज में क्रूड ऑयल उपलब्ध करा देता है वरना भारत का क्रूड ऑयल इम्पोर्ट 150 बिलियन के आसपास चला जाता।
क्रूड ऑयल खपत अधिक होने के दो कारण
भारत में क्रूड ऑयल की खपत लगातार बढ़ रही है। इसके पीछे दो बड़े कारण है। पहला यह है कि बड़ी संख्या में लोग लोअर मिडिल क्लास से ऊपर उठकर अपर मिडिल क्लास में एंटर हो रहे है। ऐसे में टू-व्हीलर और फॉर व्हीलर वाहनों की संख्या भी उतनी ही बढ़ रही है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर इसी तरह व्हीकल्स की संख्या लगातार बढ़ती रही तो आने वाले 8-10 सालों में ही क्रूड ऑयल पर खर्च किया जाने वाला खर्च 190-200 बिलियन डॉलर होगा। इसका एक ही सोल्यूशन नजर आ रहा है। वो इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक से अधिक उपयोग है। लेकिन विदेशों के मुकाबले भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर लोगों का झुकाव कम है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करने की जरुरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्रूड ऑयल की खपत तो निश्चित रुप से बढ़ेगी।
ONGC की मेहनत रंग लाई
भारत अब भी विदेशों से 85 प्रतिशत क्रूड ऑयल खरीदता है। भारत भी इसमें अब अपने कदम बढ़ाने लगा है और यहां भी क्रूड ऑयल की सर्चिंग पर पैसा खर्च किया जाने लगा है। भारत में ONGC अपने बजट का बड़ा हिस्सा पोटेंशल ऑयल और गैस रिजर्व की रिसर्च डिस्कवरी पर खर्च करती है। ओनजीसी को अपनी मेहनत का रिजल्ट मिल गया है। खबरों के अनुसार ONGC को अरेबियन सी में ऑयल और गैस के कुछ ब्लॉक मिले है।
इनमें एक डिपोजिट लैंड फॉइल पाइंट से 30 किमी की दूरी पर है और दूसरा 100 किमी दूर है। हालांकि ONGC ने इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है कि उन स्थानों पर कितनी वॉल्यूम है। कितने गैस और ऑयल ब्लॉक प्रजेंट हो सकते है। फिलहाल ONGC इन दोनों डिपोजिट की अधिक जानकारी लेने में बिजी है। ONGC ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन को इन दोनों ऑयल डिपोजिट की इनिशियल रिपोर्ट सबमिट कर
दी है। जैसे ही इन दोनों डिपोजिट की विस्तार से जानकारी मिल जाएगी उसके बाद यह तय करना संभव होगा कि वहां और कितने तेल के कुएं खोदे जा सकते है और उसकी क्या प्रक्रिया होगी।
पीएम मोदी ने क्रूड ऑयल सर्चिंग पर दिया जोर
अगर हम पुराने इतिहास को देखे तो अब तक जितनी भी सरकारें आई उन्होनें कभी क्रूड ऑयल के बारे में बात नहीं की। कभी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन मोदी सरकार ने क्रूड ऑयल एक्सप्लोरेशन पर काफी जोर दिया है। कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। बता दें कि क्रूड ऑयल कमाई का बहुत ही शानदार और सबसे महत्वपूर्ण साधन बन सकता है। इसलिए दुनिया के कई सारे देश हर साल अपने क्षेत्र में क्रूड ऑयल की खोज करते है। इसके लिए वहां की सरकार अलग से उन्हें बजट प्रोवाइड कराती है और कंपनीज को टेंडर देकर इसकी खोज की जाती है।
ONGC में एक्सप्लोरेशन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर सुषमा रावत के अनुसार ओएएलपी 1 और 3 राउंड्स में जो भी फाइंडिग हुई है वो दर्शाता है कि भारत मे हाइड्रोकार्बन रिसोर्सेज का विशाल पोटेंशल है। जिसको अनलॉक करने के लिए ONGC पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।