- लैंडर विक्रम के अलग होने की प्रोसेस शुरू
- सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डीबूस्ट से गुजरेगा लैंडर
चंद्रयान-3 इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच गया है। मात्र पांच दिनों के बाद चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी और भारत के लिए वो ऐतिहासिक दिन होगा। इससे पहले आज का दिन खास था जो टास्क आज के लिए था वो सफलता पूर्व पूरा कर लिया गया है। आज इसरो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग किया जा चुका है। इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल तो चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहेगा जबकि लैंडर-रोवर 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। ये 14 दिन तक चंद्रमा पर पानी की खोज के साथ ही अन्य प्रयोग भी करेंगे। वहीं प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा।
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लैंडर विक्रम के अलग होने की प्रोसेस शुरू
लैंडर विक्रम के अलग होने की प्रोसेस शुरू हो गई है। 16 अगस्त को भारत के महत्वाकांक्षी मिशन मून के तहत चंद्रयान चांद की पांचवीं कक्षा में पहुंच गया था। केवल एक मिनट के लिए इंजन को ऑन किया गया था। अभी चंद्रयान-3 153 km x 163 km की ऑर्बिट में घूम रहा है। यह चंद्रमा से सबसे कम और सबसे अधिक दूरी है।
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सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डीबूस्ट से गुजरेगा लैंडर
लैंडर विक्रम को 30 किमी के निकटतम बिंदु और 100 किमी के दूरस्थ बिंदु वाली कक्षा में स्थापित करने के लिए डीबूस्ट करना होगा। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी। डीबूस्ट करना यानि उसकी रफ्तार धीमी करना। यह प्रक्रिया चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी रफ्तार को धीमे करते हुए थ्रस्टर की मदद से सतह पर सुरक्षित उतारा जाएगा।