Islam Facts in Hindi: मज़हब-ए-इस्लाम एकेश्वरवाद पर आधारित एक ऐसा सत्यवादी धर्म है, जिसके हर पहलू पर अगर हम आज के साइंटिफिक रिसर्च की रौशनी में नज़र डालें तो पाएंगे कि बेशक इस कायनात में कुछ भी बेवज़ह नहीं है। हर इक चीज़ का अपना एक मुकाम है, मक़सद है। तो चलिए हम आपको इस्लाम के कुछ ऐसे ही अनछुए पहलुओं से रूबरू कराते हैं। जिससे आपकी आंखों पर बंधी पट्टी भी शायद खुद जाए, और आज से आप भी इस्लाम के नाम पर चल रही सियासती तिकड़मबाजियों और रियासती फ़ित्नपरस्तियों को सही मायने में पहचान सके। सही ग़लत का फ़ैसला अपनी खोपड़ी का इस्तेमाल करके कर पाए, ना कि किसी की भी सुनी सुनाई और लिखी लिखाई दकियानूसी बातों पर यक़ीन करके इस्लाम (Islam Facts in Hindi) के ख़िलाफ़ अपना एक ज़हरीला अक़ीदा बना लें।
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सदियों से किताबों में हमें इस्लाम (Islam Facts in Hindi) के बारे में यही पढ़ने को मिलता आया है कि आज से क़रीब 1445 साल पहले से अरब में इस्लाम धर्म का जन्म हुआ। जबकि हक़ीक़त में 1445 साल पहले तो अरब के पवित्र शहर मक्का में हम सबके प्यारे आक़ा कायनात के आखिरी रसूल, सरवरे क़ौनैन हबीब-ए-पर्वरदिगार, ताजदार-ए-मदीना, अहमद-ए-मुज़्तबा,रहमतुल लिल आलमीन, हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नुज़ूल हुआ था। हुज़ूर-ए-अक़रम, मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमद से पहले कमोबेश एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000 means 124K ..Digital Data Computer Memory system Kilo Byte, Mega Byte, Giga Byte yahi se izad hua tha) पैग़म्बर इस दुनिया में आ चुके हैं।
दोस्तों इस धरती पर पहले इंसान व पैगंबर हजरत आदम अलैहिस्सलाम थे। तभी तो हर इंसान को आदमी यानी आदम की औलाद कहा जाता है। लगभग 1 लाख चौबीस हज़ार नबियों की इस कड़ी (Islam Facts in Hindi) में आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हुए यानी सबसे अंतिम पैग़म्बर जिन्हें हिंदी में देवदूत भी कहा जाता हैं। अब इनके बाद रूहे ज़मीन पर क़यामत तक कोई भी नबी नहीं आने वाला हैं, अगर कोई नबूवत का दावा करे तो वह दज़्जाल का दोस्त, मक्कार और झूठा है।
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हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को 571 ईस्वी में सऊदी अरब के मक्का में पैदा हुए। आपके पिता का नाम अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुतलिब और माँ का नाम बीबी आमिना था। बचपन में ही आप यतीम हो गए थे। हर वक़्त आप बस अल्लाह की इबादत में ही मसरूफ़ रहते थे। अहले मक्का में आपकी सच्चाई और ईमानदारी की नज़ीर पेश की जाती थी। लोग आपको सादिक़ और अमीन तस्लीम करके अपने फ़ैसले करवाते थे। मक्का से मदीना की आपकी यात्रा को 622 ईस्वी से इस्लाम में हिजरी संवत के नाम से जाना जाता है। अभी 2024 में हिजरी 1445 चल रहा है।
नबी-ए-क़रीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफ़ात के बाद इस्लाम (Islam Facts in Hindi) शिया और सुन्नी दो फ़िरको में बंट गया। सुन्नी जो हजरत मुहम्मद के कथनों और कार्यों यानी सुन्नत पर अमल करते हैं जबकि शिया हजरत अली की शिक्षाओं में विश्वास रखते हैं। हजरत अली जिन्हें मुश्किल कुशा शेरे ख़ुदा मौला अली भी कहा जाता है, हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दामाद थे। हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ही पवित्र आसमानी किताब क़ुर्आन मजीद नाज़िल हुई। जिसमें जिंदगी के हर मसअले का हल वैज्ञानिक तरीके पर आधारित है।
इस्लाम (Islam Facts in Hindi) की बुनियाद ईमान है। यानी बंदा दिल से यह यक़ीन करे कि अल्लाह एक है, और उसके सिवा कोई भी इबादत के लायक नहीं है, साथ ही जनाब-ए-मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के पक्के और सच्चे रसूल है। इसी को पहला कलमा यानी कलिमा-ए-तैयिब्बा कहा जाता है। तो हजरात एक बार रूह-ए-क़ल्ब से पढ़िए ‘ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह’। हर मुसलमान के लिए दिन में पांच वक़्त नमाज़ पढ़ना, अपनी कमाई का 2.5% गरीबों को जक़ात के रूप में देना, रमजान के रोज़े रखना फर्ज़ है। जो मालदार हैं उनके लिए ज़िंदगी में एक बार हज करना लाज़िमी है।
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इस्लाम मूर्तिपूजा और पुनर्जन्म की अवधारणा को सिरे से ख़ारिज करता है। इस्लाम के अनुसार इंसान सिर्फ़ एक बार इस दुनिया में जन्म लेता है। मृत्यु के पश्चात् वह क़यामत तक क़ब्र में दफ़्न रहेगा, और क़यामत के दिन उसे फिर से ज़िंदा किया जाएगा। क़यामत के दिन वह अपने आमाल मानी के कर्मों के अनुसार ही ‘जन्नत’ यानी स्वर्ग या फिर जहन्नुम यानी कि दोजख ‘नरक’ में जाएगा।
दुनिया में आजकल इस्लाम को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं फैली हुई है। मौजूदा दौर में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा जा रहा है. पर असल में इस्लाम नफ़रत नहीं बल्कि मुहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम देता है। ज़रूरत है तो बस इस्लाम और क़ुर्आन शरीफ की सही जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने की। तो आइए आप और हम सब मिलकर आज यह अहद करें कि अपने अपने लेवल पर मुआशरे में दीन-ए-इस्लाम को लेकर जो गलतफहमियां फैली हुई हैं और फैलाई जा रही हैं उनको दूर करने की दिल से कोशिश और ज़मीनी जद्दोजहद करेंगे। इंशाअल्लाह रब्बे कायनात हमारी इस छोटी सी कोशिश का बहुत बड़ा अज्र अता फ़रमाएंगे।
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