Islam me Minar : इस्लाम दुनिया का एक ऐसा मज़हब जिसमें हर चीज का साइंटीफिक कारण होता हैं। आपने मस्जिद में मीनार देखी होगी। मन में सवाल आया होगा कि मस्जिद के किनारों पर ये मीनारें क्यों बनाई जाती हैं। हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे कि मस्जिद में मीनार क्यों (Islam me Minar) बनाई जाती हैं। ताकि आपको भी पता चल सके कि मुसलमान कोई भी अमल बिना सोचे समझे नहीं करते है। ये पोस्ट आप सब लोग जमकर शेयर करें ताकि गैर मुस्लिमों को भी मीनार की हकीकत मालूम चल सके।
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मस्जिद में मीनार क्यों बनाई जाती है
(Islam me Minar Kyu Banate Hai)
मस्जिद में मीनार बनाने का मुख्य कारण अजान देना है। बस्ती में दूर दूर तक मोअज्जिन की आवाज पहुंच सके इसके लिए पहले के ज़माने में बुलंद मीनारें बनाई जाती थी, जिनमें ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी होती थी। जैसा कि आप लोग कुतुबमीनार में देख सकते हैं। उस ज़माने में लाउड स्पीकर नहीं होते थे तो अज़ान की आवाज़ दूर तक पहुंच सके इसके लिए लंबी लंबी मीनारें बनाई (Islam me Minar Kyu Banate Hai) जाने लगी। फिर आज के जमाने में मीनारें मस्जिद की शान और रुतबे को दर्शाने के लिए बनाई जाने लगी।
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मीनार शब्द का मतलब क्या है ?
मीनार शब्द अरबी भाषा के लफ्ज मनारा से बना है। जिसका मतलब लाइट हाउस यानी प्रकाश स्तंभ होता है। अंग्रेजी का शब्द मीनारेट (Minaret) यही से निकला है। वहीं अरबी में मनार का मतलब किसी जगह का स्टैंड होता है। यानी मीनार का मतलब होता है कि मस्जिद की लोकेशन दिखाने वाला लाइट हाउस जैसा कि समंदर में होता है।
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मीनार का इतिहास क्या है
मीनार तुर्की की स्थापत्य कला है। इराक़ में बौनी, सर्पिल ढांचों वाली व मोटी मीनारों से लेकर ऊंची, उत्कृष्ट व पतली पेंसिल जैसी मीनारें तामीर की जाती रही है। मीनार का आधार अक्सर चौकोर होता है। भारतीय इस्लामी वास्तुकला की बात करें तो दिल्ली की क़ुतुब मीनार इसका बेस्ट उदाहरण है। वही आज के दौर में मीनार अजान के लाउडस्पीकर टाकने के काम आ रही है। कई लोगों ने तो इसे इस्लाम का स्टेटस सिंबल मान लिया है। जबकि असली मीनार तो आपके दिल की मीनार है जिसे ईमान की बुनियाद पर बुंलद कीजिए।