Itikaf Meaning : माहे रमजान का दूसरा अशरा चल रहा है। 11वें दिन से 20वें दिन तक दूसरा अशरा रहता है। उसके बाद 21वें दिन से 29वें या 30वें दिन तक तीसरा अशरा होगा। आखिरी अशरे में शबे कद्र के अलावा एतिकाफ की इबादत भी की जाती है। रमजान में एतकाफ का मतलब (Itikaf Meaning) है तन्हाई में अल्लाह की इबादत करना। दरअसल 20वें रमजान को मगरिब की नमाज के बाद इंसान घर के किसी कोने, खाली कमरे या फिर मस्जिद में रहकर दस दिन तन्हाई की इबादत में गुजारता है। इस दौरान वह रोजे और नमाज के साथ नफिल नमाज और कुरान की तिलावत करता है। नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर रमजान पूरी शिद्दत के साथ एतिकाफ में बैठा करते थे। हमें इसी तरह आप अपनी मख़्सूस दुआओँ में शामिल करते रहें।
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रमजान के आखिरी अशरे में कई मुस्लिम मर्द और औरतें एतकाफ में बैठकर मौला की इबादत करते हैं। सीधी जुबान में कहे तो दस दिन तक एकांत में बैठकर इबादत करनी है। न किसी से बात करनी है, न किसी को अपना चेहरा दिखाना है। बस दस दिन तक अल्लाह अल्लाह करना है। ऐसे बंदों पर अल्लाह की खुसूसी रहमत नाजिल होती है। एतकाफ के दौरान मर्द हजरात मस्जिद में जबकि औरतें घरों में एकांतवास करती है। वही पर खाना,पीना,सोना और इबादत की जाती है। मर्द मस्जिद में पर्दे में रहते हैं, जबकि औरतें घर पर ही एतकाफ का एहतिमाम करती है।
एतिकाफ का मकसद यानी आखिरी अशरे में अल्लाह का कुर्ब हासिल करना। इसके लिए तन्हाई में रहना जरूरी है। क्योंकि जब बंदा अकेला होता है तो उसे केवल अल्लाह से लौ लगाना आसान रहता है। एतकाफ का सवाब बहुत ज्यादा होता है। एतिकाफ करने वाला बंदा जब 21 से 29 रमजान के बीच शब-ए-कदर की रात को जागता और इबादत करता है तो अल्लाह उसके सारे गुनाहों को माफ फरमा देते हैं। ईद का चांद नजर आते ही एतिकाफ समाप्त कर दिया जाता है।
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नबी ए करीम का फरमान है कि एतिकाफ में बैठने वाले मोमिन को दो हज और दो उमराह करने जितना सवाब मिलता है। इसके अलावा तन्हाई में जब बंदा रब की याद में लौ लगाता है तो उसे ईमान की लज्जत नसीब होती है। वरना हम किसी न किसी से हर पल बातें करते रहते हैं। जब बंदे के पास कोई बात करने वाला नहीं होगा तो वह अल्लाह से ही बात करता है। रोजे और एतिकाफ की हालत में बंदा अल्लाह के नजदीक और ज्यादा पहुंच जाता है। दस दिनों तक पर्दे में रहने के कारण मोमिन के चेहरे पर रब का नूर झलकने लगता है। कुल मिलाकर एतिकाफ में बैठने के कई फायदे हैं। अल्लाह तआला हम सबको ताहयात एतकाफ में बैठने की तौफीक नसीब अता फरमाएँ।
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