Jume Ki Namaz in Hindi: मुसलमानों के लिए शुक्रवार यानी जुमे का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दिन मुस्लिम बंधु नहा धोकर खुशबू लगाकर दिन में एक बजे से दो बजे तक जुमे की विशेष नमाज़ अदा करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन रब्बे कायनात बंदों के पूरे हफ्ते के पाप माफ फरमा देते हैं। अल्लाह का दरबार जुमे के दिन (Jume Ki Namaz in Hindi) लगता है, और उसमें पूरे सप्ताह के आमाल यानी कर्मों का लेखा जोखा पेश किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर ये तीन काम नहीं किये तो जुमे की नमाज नहीं होती है।
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जुमे की नमाज नहीं होगी ये नहीं किया तो
जुमे की नमाज पढ़ने के लिए तीन नियम खास तौर पर बनाए गए हैं। सबसे पहला है गुस्ल करना यानी अच्छी तरह से नहाना। दूसरा है शरीर के खुशबू इत्र लगाना। तीसरा होता है मिस्वाक करना। मिस्वाक एक खास किस्म की दांतुन होती है, जिसका हदीस में भी जिक्र किया गया है। तो मुसलमानों के लिए ये तीन काम करने जुमे के दिन बेहद ज़रूरी है।
आमालों की पेशी होती है
जुमे के दिन बंदे के कर्मों का लेखा जोखा रब की बारगाह में पेश किया जाता है। आखिरी नबी हजरत मुहम्मद साहब को जुमे का दिन बहुत पसंद था। आप जो कुछ करते थे उसे मुसलमान सुन्नत के तौर पर अदा करते हैं। अल्लाह के हुक्मों पर चलकर और नबी की सुन्नतों पर अमल करके इस्लाम धर्म में मोक्ष यानी मगफिरत को पाया जाता है।
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जुमे के दिन खास नमाज़ होती है
जुमे की नमाज दोपहर में पढ़ी जाती है। शुक्रवार के अलावा बाकी दिन ये नमाज जौहर के नाम से जानी जाती है। हालांकि जुमे की नमाज में दो रकाअत बढ़ जाती है। जबकि जौहर में केवल 12 रकाअत नमाज ही पढ़ी जाती है। वही जुमे की नमाज में दो फर्ज अतिरिक्त होती हैं।