Jume ki Namaz : रमजान का तीसरा जुम्मा आपको मुबारक हो। 29 मार्च 2024 को रमजान का तीसरा जुमा है। जुमे के दिन की फजीलत कुरआन और हदीस में बयान की गई है। नबी ए करीम का फरमान है कि जुमे के दिन गुस्ल करके इत्र लगाकर नये कपड़े पहनकर जल्दी मस्जिद पहुंचे और मुझ पर कसरत से दरूद शरीफ पढ़ें। जुमे की नमाज (Jume ki Namaz) का सही तरीका हम यहां आपको बता रहे हैं। ताकि मोमिन मर्द और औरतें मजीद फायदा उठा सकें। औरतों की नमाज घर पर ही होती है, जबकि मुसलमान मर्द मस्जिद में जुम्मे की नमाज पढते हैं। इस्लाम में शुक्रवार के दिन जुहर की नमाज नहीं बल्कि जुम्मे की नमाज अदा होती है। अल्लाह हम सबको अलविदा जुमे की तैयारी करने की तौफीक अता करें।
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जुमे की नमाज का सुन्नत तरीका (Jume ki Namaz)
जुहर की नमाज में 12 रकात होती है। लेकिन जुमे की नमाज में कुल 14 रकात होती है। जुम्मा की नमाज में सुन्नत, फर्ज और नफ्ल नमाज मिलाकर 14 रकात नमाज अदा की जाती है। सबसे पहले 4 रकात सुन्नत अकेले में पढ़ लें। फिर 2 रकात फर्ज इमाम साहब के पीछे पढ़ी जाएगी। उससे पहले खुत्बा होगा। इसके बाद जुम्मे की 4 रकात सुन्नत नमाज पढ़ें। इसके बाद फिर 2 रकात सुन्नत और आख़िर में 2 रकात नफ्ल नमाज पढ़ी जाएगी। जुमे के खुत्बे से पहले दरूद शरीफ कीू जमकर कसरत करें।
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सुन्नत नहीं छोड़ें
भारत में कई मुसलमान जुमे की फर्ज नमाज पढ़ते ही मस्जिद से चले जाते हैं। जबकि जुम्मे के दिन 14 रकात नमाज पढ़ना जरूरी है। वरना नमाज पूरी नहीं होगी। हालांकि आप घर जाकर भी सुन्नत और नफ्ल अदा कर सकते हैं। लेकिन मस्जिद में सवाब ज्यादा मिलता है। जो हजरात जुम्मे की दो रकात फर्ज पढ़ने के बाद घर रवाना हो जाते हैं, वे इस बात पर गौर करें कि सप्ताह में ये एक दिन अल्लाह ने मात्र एक घंटे के लिए हमको अता किया है। अगर इसमें भी हम कटौती करने लग गए तो हमारा क्या बनेगा। मेरी इस जाती राय पर तवज्जो जरूर फरमाएँ। पूरी 14 रकात जुम्मे की मस्जिद में ही अदा करने की आदत डालें। अल्लाह हमारी जुमे की नमाज को कुबूल फरमाएँ।