जयपुर। Kargil Vijay Diwas 2024 : 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल क्षेत्र में युद्ध हुआ जिसको कारगिल युद्ध कहा जाता है जिसें भारत ने जीता था। इस जीत की खुशी में भारत हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस मनाता है। भारत की तरफ से इस युद्ध ऐसे खतरनाक हथियार इस्तेमाल किए गए थे जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। इन्हीं में से एक हथियार था बोफोर्स तोप। जी हां, बोफोर्स तोप वो ही हथियार जिसें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Bofors Cannon) स्वीडन से खरीदकर भारत लाए थे। हालांकि, बोफोर्स तोप घोटाले के आरोप में उन्हें अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी, लेकिन इस खतरनाक हथियार ने कारगिल युद्ध में भारत की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में आइए जानते हैं कारगिल युद्ध और बोफोर्स तोप की उपयोगिता के बारे में…
कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप (Bofors Use in Kargil War) का जमकर इस्तेमाल किया गया। इस तोप ने लड़ाई के मैदान में ऐसा जलवा दिखाया कि पाकिस्तानी फौज के होश उड़ गए। बोफोर्स की आग बरसाते गोलों ने दुश्मन के सेनिकों को पोस्ट छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। बोफोर्स तोप की बौछार की सहायता से भारतीय सेना को कवर भी मिला और उसने लगातार आगे बढ़ते हुए घुसपैठियों को मार गिराया।
कारगिल युद्ध के दौरान बोफोर्स तोप (Bofors Cannon Power) के गोलो ने दुश्मनों के बंकरों को नेस्तनाबूद कर दिया। यह तोप 30 किलोमीटर तक सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। उस दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों पर 105mm के गोले, 160mm और 120mm के मोर्टार, 122mm ग्रैड और BM 21 रॉकेट लॉन्चर से भीषण हमला बोला गया। भारतीय सेना ने फॉयर अटैक-1 राउंड फायर प्रति मिनट के हिसाब से 17 दिन तक लगातार जारी रखा। इतनी जबरदस्त फायरिंग दुनिया के इतिहास में दूसरे विश्व युद्ध के बाद कहीं नहीं हुई।
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कारगिल युद्ध को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का इतिहास का सबसे खतरनाक और भयावह युद्ध माना जाता है। इसके पीछे की वजह कारगिल युद्ध में भारी मात्रा में विस्फोटक, रॉकेट, मिसाइल, तोप और मोर्टार का यूज किया जाना था। बताया जाता है कि कारगिल युद्ध में करीब 2.5 लाख गोले, 5000 बम और 300 से ज्यादा मोर्टार दागे गए थे। यह सामने आया है कि जिस दिन भारतीय सैनिकों ने टाइगर हिल्स से दुश्मन पाकिस्तानी फौज को पीछे धकेला और उस दिन जवानों ने लगभग 9,000 गोले दागे थे।
कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान इजरायल ने भी आधुनिक तकनीक और आधुनिक हथियार देकर भारत की मदद की थी। इजरायल ने सीमा सुरक्षा और आतंकियों से निपटने की अपनी तकनीकी और अनुभव को भारत के साथ बिना किसी समझौते के शेयर किया था। इजरायल ने ही भारत को लेजर तकनीक का इस्तेमाल कर लड़ाकू विमान से मिसाइल के जरिए दुश्मन पर हमले में मदद की थी। इजरायल ने ड्रोन से हवाई निगरानी कर दुश्मनों को ढूंढ-ढूंढ कर मारने में भारतीय सेना की मदद की थी। इसी देश ने उस समय भारतीय सेना को ‘लिटेनिंग पॉड’ के अलावा ऐसे कई हथियार दिए जिनसे नीचे से ऊपर की ओर दुश्मन को टारगेट आसानी से किया जा सकता था।
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