जयपुर। अब कनाडा से भारत नही खरीदेगा दाल जी हां अन्य जरूरी सामानों में एक जरूरी जींच है दाल जिसे कनाडा से खरीदकर भारत अपनी मांग पूरी करता है। भारत कनाडा से दाल खरीदकर उसे मोटी कमाई कराता है। अगर देश इसकी खरीद बंद करता है तो ये कनाडा के लिए बडा झटका होगा। बता दे कि भारत की सलाना दलहन की मांग करीब 250 लाख मीट्रिक टन है,जबकि हमारा उत्पादन औसतन 215 लाख मीट्रिक टन होता है। बाकि मांग को पूरा करने के लिए भारत कनाडा समेत म्यांमार और अन्य कुछ अफ़्रीकी देशों से दाल का आयात करता है। 2020 21 में भारत ने 24 दशमलव 66 लाख दाल का आयात किया था। जो अगले वित्त वर्ष 2021 22 के दौरान 9 दशमलव 44 प्रतिशत बडाकर लगभग 26 दशमल 99 लाख टन हो गया था।
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ये आंकडे भारत को दुनियां में दालों का सबसे ज्यादा निर्यात कनाडा ही करता है। देश में दाल की कीमत आसमान पर है। और अगर कनाडा से आयात बंद कर भारत दूसरें देशों को मौका देता है तो कनाडा को बड़ा नुकसान होगा। गौरतलब है कि कनाडा केवल दाल के मामले में ही नही बल्कि मटर उत्पादन में भी आगे है। यहां पीले हरे मैरोफेट और मेपल मटर उत्पादित होती है। कैनेडियन मटर की मांग है और खादृद सामग्री के रूप में कई देशो में इसका निर्यात किया जाता है। मसूर दाल आयात के लिए भारत के पास रूस, सिंगापुर, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात बडे़ विकल्प हैं। ऐसे में कनाडा से राजनयिक विवाद से मसूर दाल आयात को लेकर भारत पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ने वाला है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि कनाडा के साथ ताजा मामले के कारण दाल आयात या इसकी कीमतों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
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बता दें कि भारत ने हाल ही में अमेरिका से दाल आयात पर कस्टम ड्यूटी भी हटा दी है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और व्यापार निकायों ने कहा कि कनाडा के साथ राजनयिक विवाद से मसूर की आवश्यकताओं पर असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि भारत ने दाल के अपने आयात में विविधता ला दी है और अब वह किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भरता नहीं है। इसके अतिरिक्त भारत ने हाल ही में अमेरिका से आयातित मसूर दाल को किसी भी प्रकार के सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दे दी है, जिसके बाद दाल की कमी या कीमतें बढ़ने की आशंकाओं पर विराम लग गया है।
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी से कहा कि कनाडा से बड़ी मात्रा में दाल पहले ही आयात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिकी दाल आयात पर सीमा शुल्क छूट की अनुमति भी मिल गई है। आपूर्ति संबंधी कोई समस्या नहीं है। भारत कनाडाई दाल के प्राथमिक आयातकों में से एक है। 2022-23 में मसूर दाल का आयात 11 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है।
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