जयपुर। राजस्थान के कोटा में कनवास थाना क्षेत्र से रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया। यहां स्थित किशोरपुरा घने जंगल से एक प्रेमी जोड़े के कंकाल रूपी क्षत-विक्षत शव मिले हैं। इनकों शवों को वन्यजीवों ने नोच डाले हैं। महिला के शव का गर्दन से ऊपर का हिस्सा बचा। बाकी का शरीर को वन्यजीव खा गए थे। शरीर के कुछ अवशेष आसपास बिखरे हुए मिले। कनवास थाना पुलिस इसको आत्महत्या का केस मान रही है। लेकिन थानाधिकारी कल्याण सिंह का कहना है कि पुलिस दूसरे पहलुओं पर भी जांच कर रही है। वहीं, ग्रामीण हत्या की भी आशंका जता रहे हैं। आपको बता दें कि 41 दिन से लापतपा बाबूलाल और धापू बाई दोनों पहले से शादीशुदा थे। दोनों के बीच शादी के बाद भी प्यार परवान चढ़ा और दोनों घर से भाग थे।
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41 दिन से गायब थे बाबूलाल और धाूप
कोटा के किशोरपुरा गांव से 30 साल बाबूलाल और 21 साल की धापू बाई 9 मार्च को घर से गायब थे। कनवास थाने में गुमशुदगी भी परिजनों ने दर्ज करवाई थी। इनकी तलाश परिजन भी कर रहे थे। कनवास थानाधिकारी कल्याण सिंह ने बताया कि 22 अप्रैल को चरवाहे की सूचना पर शव मिले। दोनों के परिजन मौके पर पहुंचे। चप्पल, कपड़े, स्वर्ण आभूषण से मृतकों की पहचान हुई। घटनास्थल से मोबाइल भी बरामद हुआ है। महिला के पहने हुए स्वर्ण आभूषण व पैरों की पायल भी घटनास्थल के आसपास ही पड़ी मिली। हड्डियों का चूरा भी पड़ा हुआ मिला।
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जंगल में बरामद हुए शव
पुलिस ने मुताबिक जहां शव बरामद हुए हैं वो जगह किशोरसागर बालाजी के पीछे घने जंगल में है। सड़क से करीब 3 किलोमीटर अंदर शव बरामद हुए हैं। जहां पर कोई आवाजाही भी नहीं है। इस इलाके में बड़ी संख्या में लकड़बग्घे, सियार और जंगली सूअर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। दोनों के कंकाल रूपी शव का मौके पर मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों के सुपुर्द किए थे।
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पुलिस कर रही जांच
बाबूलाल के परिजनों ने यह कहा है कि दोनों की हत्या कर किसी ने शव लटका दिया। थानाधिकारी का कहना है कि पुलिस इस मामले में दोनों शवों को संदिग्ध मानते हुए ही पड़ताल कर रही है। जांच में हर एंगल लिया जा रहा है। मृतक बाबूलाल और मृतका धापू बाई दोनों किशोरपुरा गांव के निवासी हैं। बाबूलाल पहले से ही विवाहित था। उसके दो बच्चे भी हैं। किशोरपुरा गांव में ही रह रहा था, जबकि धापू बाई का विवाह झालावाड़ जिले में हुआ था। जहां से वह अपने पीहर किशोरपुरा ही आई हुई थी। लंबे समय से यहीं रह रही थी। धापू बाई को लेने के लिए उसके ससुराल पक्ष के लोग 9 मार्च को ही किशोरपुरा गांव पहुंचे थे। इसी दौरान वह अपने परिजनों को चकमा देकर चली गई थी।