मौसम का पूर्वानुमान,कैसा होगा इस बार मानसून?
सरकारी एजेंसी भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र आईएमडी ने इस महीने के आखिरी सप्ताह में अपना पूर्वानुमान जारी करने के संकेत दिए हैं। जबकि निजी एजेंसी स्काईमेट ने पहले ही मानसून के पूर्वानुमान जारी किए हैं। जिसमें जून से सितंबर तक 4 महीने की औसत वर्षा की 868.8 मिलीमीटर की तुलना में 816.5 मिलीमीटर यानी 94% बारिश की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों की माने तो देश में इस साल मानसून के सामान्य से कम रहने की आशंका जताई गई है। इसका मुख्य कारण अलनीनो का प्रभाव है। भारत की कृषि मानसूनी जुएं पर निर्भर है। ऐसे में मानसून का सबसे अधिक प्रभाव इसी प्राथमिक क्षेत्र पर देखने को मिलता है। कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था का केंद्रीय बिंदु है। जिस पर आरबीआई की नीतियां भी टिकी होती है। ऐसे में मानसून के सामान्य से कम होने पर आरबीआई के महंगाई नियंत्रण के प्रयासों को भी झटका लगेगा।
अलनीनो के आसार
मौसम विशेषज्ञों की मानें तो ट्रिपल -डिप- ला नीना के चलते दक्षिण पश्चिमी मानसून के लगातार पिछले मौसम में सामान्य सामान्य से अधिक वर्षा हुई।ऐसे में अब ला नीना समाप्त हो चुका है। वही अब अलनीनो का प्रभाव देखने को मिलेगा और जब जब अलनीनो आता है। तब तब मानसून का चक्र प्रभावित होता ही है। कहीं सामान्य से कम बारिश होती है, तो कहीं कहीं सूखा पड़ता है। अर्थात अल नीनो का आना कमजोर मानसून की दस्तक है।
अल नीनो चिंता का विषय क्यों?
(1) भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है और यह मानसून पर ही निर्भर है। ऐसे में सबसे अधिक जो क्षेत्र प्रभावित होता है वह है कृषि।
(2) आरबीआई की मौद्रिक नीतियां भी कृषि से जुड़े उतार-चढ़ाव पर ही निर्भर करती है। ऐसे में अलनीनो की अनिश्चितता परेशानियां खड़ी करेंगी।
(3) जब जब अलनीनो आता है। तब तब महंगाई का स्तर भी बढ़ता है। ऐसे में बाजार के उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलेंगे।
(4) मानसून में अनिश्चितता केवल मौद्रिक नीतियों को ही नहीं अपितु सरकार की राजकोषीय नीतियों को भी प्रभावित करेगी। ऐसे में अतिवृष्टि और अनावृष्टि होने पर राजस्व व्यय बढ़ेंगे।
(5) बारिश का कम होना जल स्रोतों को तो सुखाएगा ही साथ ही जल संकट भी गहराएगा।
चिंता का विषय यह भी है कि एक आम इंसान पहले से ही महंगाई, मुद्रास्फीति से परेशान है। अनाज, सब्जी, दाल और दूध के दाम आसमान छू रहे है। ऐसे में अलनीनो का यह पूर्वानुमान किसानों के साथ-साथ आम जनता को भी तनाव में डाल सकता है।
कहां-कहां होगा असर
अल नीनो के प्रभाव से तटवर्ती इलाके सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में जुलाई तथा अगस्त में कम बारिश होने की संभावना है। वहीं राजस्थान, पंजाब व उत्तर प्रदेश में सीजन के दूसरे भाग में सामान्य से कम बारिश होने की आशंका जताई गई है।