56 इंच का सीना बनाम 56 सवाल केजरीवाल के खिलाफ
'अगर मैं ईमानदार नहीं तो कोई ईमानदार नहीं ' इन बयानों के साथ केजरीवाल ने सामना किया सीबीआई के 56 सवालों का। दिल्ली के शराब नीति घोटाले में पूछताछ के दौरान लगभग साढ़े 9 घंटे पूछताछ चली। रविवार सुबह 11:10 से लेकर रात 8:30 बजे तक चलती रही। इस बीच सीबीआई के उच्च अधिकारियों ने केजरीवाल से लगभग 56 सवाल किए।
इससे पहले केजरीवाल ने अपने ऑफिस में आपातकालीन बैठक भी बुलाई थी। उन्हें लग रहा था। उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के विधायकों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई। इस बैठक में राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता, डिप्टी मेयर अली मोहम्मद इकबाल, दिल्ली मेयर शैली ओबेरॉय, जो हाल ही में चुनी गई है। साथ ही पार्टी के अन्य नेता शामिल हुए।
केजरीवाल ने कहा उन्होंने पूरी ईमानदारी से सीबीआई के सभी सवालों का जवाब दिया है। इसी के साथ सोशल मीडिया हैंडल पर उन्होंने लिखा। हम बापू के बताए रास्ते पर हैं। अन्याय और जुल्म के खिलाफ, सत्य के रास्ते पर हैं। उन्होंने कहां अंत में जीत सत्य की ही होती है। आप चाहे जो मर्जी कर लीजिए। हमें रोक नहीं पाएंगे।
क्या यह विरोध के लिए विरोध की राजनीति है?
आपको बता दें, इससे पहले केजरीवाल सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट पहुंचे। जहां उनके साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और कई अन्य नेता भी शामिल थे।
विपक्ष की एकजुटता नजर आई
सीबीआई और ईडी के मामले में विपक्ष की मिली-जुली प्रतिक्रिया के साथ एकजुटता भी नजर आई। कई नेताओं के ट्वीट लगातार सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे। आप पार्टी के नेता हिरासत में लिए गए। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सांसद संजय सिंह, कई कैबिनेट मंत्री शामिल थे। वही प्रियंका वाड्रा, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने भी केजरीवाल का समर्थन किया।
सुरक्षा के भारी इंतजाम
भारी सुरक्षा इंतजाम के साथ केजरीवाल से पूछताछ की गई। लगभग 1000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को सीबीआई मुख्यालय के बाहर तैनात किया गया। साथ ही क्षेत्र में धारा 144 लगाई गई। सरकार नहीं चाहती जो कुछ यूपी के घटना चक्र में चल रहा है। उसका असर यहां हो। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार और एलजी का विवाद जो समय समय पर उभरता रहता है। वह भी सामने नजर आया। दिल्ली सरकार के सोमवार को सत्र बुलाए जाने पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना नाराज नजर आए। ऐसे टकराव इससे पहले भी बहुत बार हो चुके हैं। उनका मानना है कि प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता का अभाव था।