मन की बात भी, क्या कभी खत्म होती है?
यह तो निरंतर चलती ही रहती है। बिलकुल वैसे ही जैसे शास्त्रों में कहा गया है चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति। सचमुच अगर मन की बात मन को लुभा जाए, सकारात्मक हो, सहज, सरल और सार्थक हो, तो मन की बात करने का मन करता है। मन से मन मिल जाए तो बात बन जाए। फिर मनुष्य को और क्या चाहिए? मन ही सुलझन है, मन ही उलझन है।
मोदी की मन की बात जो शुरू हुई थी पहले एपिसोड में 14 मिनट से वह बढ़ती बढ़ती आज 30 मिनट तक पहुंच गई। आज वह ऐतिहासिक पल है। जिसमें मोदी की मन की बात को लेकर चलाया गया मिशन ,अपना 100 वा एपिसोड पूरा कर रहा है। इस ऐतिहासिक पल में कौन-कौन है साथ?
अंतरराष्ट्रीय घटना चक्र में ऐतिहासिक कदम
मन से मन मिल जाए तो दूरियां समाप्त हो जाती हैं। इसी का उदाहरण है कि आज मन की बात के एपिसोड ने अंतरराष्ट्रीय घटना चक्र में भी महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। इसका प्रसारण संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सीधा होगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने ट्वीट कर कहा, ऐतिहासिक क्षण के लिए तैयार हो जाइए। प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम की सभी कड़ी का संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के ट्रस्टीशिप काउंसलिंग चेंबर में रविवार 30 अप्रैल को सीधा प्रसारण किया जाएगा।
भारतीय समयानुसार यह पूर्वार्ध 11:00 बजे यह शुरू हुआ और न्यूयॉर्क में शनिवार देर रात 1:30 बजे प्रसारित होगी। मोदी का कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय( यू एन एच क्यू )में सीधा प्रसारित होगा। जो अपने आप में अविस्मरणीय, अभूतपूर्व घटना होगी। इस मासिक राष्ट्रीय कार्यक्रम को लेकर लाखों लोग उत्साहित हैं। न्यूयॉर्क में भी भारतीय महावाणिज्य दूतावास में सामुदायिक संगठनों और एनजीओ के साथ मिलकर एक विशेष कार्यक्रम के दौरान न्यूजर्सी में इंडिया, अमेरिका और n.r.i. समुदाय के सदस्यों के लिए मन की बात कार्यक्रम की सभी कड़ी का प्रसारण करने की व्यवस्था करेंगे।
क्या था विशेष इसमें
जल से लेकर कल तक, पृथ्वी से लेकर आकाश तक, गांव से लेकर शहर तक, शिक्षा से लेकर आंत्रप्रेन्योर तक, बच्चे से लेकर बूढ़े तक, बड़े उद्योगों से लेकर लघु और कुटीर उद्योगों तक, यही नहीं जलवायु जैसे गंभीर मुद्दों को भी इस कार्यक्रम में उठाया गया यही वह कार्यक्रम है जिसके द्वारा लोकल फॉर वोकल आजादी का अमृत महोत्सव जैसे प्रोग्राम को मिशन में बदला गया। कोरोनावायरस में जिस प्रकार से देश ने विकास किया, विकास की रफ्तार को जो गति मिली मनोबल मिला वह सब मन की ही बात थी इस ऐतिहासिक मन की बात को 30 अप्रैल आज के दिन 30 मिनट के साथ 100 वां शतक लग चुका है।