तमिलनाडु प्रकरण में फंसे यूट्यूबर मनीष कश्यप के केस की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मनीष कश्यप की याचिका पर कोर्ट से किसी तरह की राहत नहीं मिली है। प्रवासी मजदूरों की फर्जी विडियो बनाने के मामले में मनीष कश्यप पर केस किया गया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में उनकी तरफ से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की के तर्क को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप की याचिका को खारिज कर दिया। ऐसे में अब मनीष कश्यप को हाइकोर्ट की ही शरण लेनी पड़ेगी। वहीं से उन्हें कोई मदद मिल सकती है। कोर्ट ने कहा कि मनीष कश्यप को राहत की मांगो के लिए संबंधित ऑथोरिटी में याचिका दाखिल करना चाहिए।
अलग-अलग दर्ज एफआईआर को एकसाथ क्लब करने की थी मांग
मनीष कश्यप पर अलग-अलग राज्यों में एफआईआर दर्ज है। इन सभी को एकसाथ क्लब करने की मांग की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत दर्ज मामले सहित इन मामलों को एक करने की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। मनीष कश्यप की सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने मनीश कश्यप को 'आदतन अपराधी' कहा है।
बिहार सरकार ने बताई एफआईआर की तीन वजह
आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान सीजेआई ने पूछा कि बिहार में किस घटना को लेकर मनीष कश्यप पर एफआईआर दर्ज की गई तो इस बिहार सरकार ने कहा कि पहली FIR फेक विडियो को लेकर, दूसरी पटना एयरपोर्ट पर दिए बयान को लेकर और तीसरी एफआईआर हाथ में हथकड़ी वाली फोटो को लेकर हुई है। इतना ही नहीं बिहार सरकार ने कोर्ट में मनीष कश्यप के लिए यह तक कह दिया कि ये तो आदतन अपराधी है।
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