Chandrayaan-3 और Aditya L1 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद अब भारत अपने नए मिशन 'समुद्रयान' में जुट गया है। इस मिशन के तहत भारत तीन लोगों की टीम को स्वदेशी सर्बमैरिन में बिठाकर समुद्र तट में 6000 मीटर की गहराई पर रिसर्च करने के लिए भेजेगा। इस समुद्रयान को 'Matsya 6000' नाम दिया गया है।
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क्या खास है Matsya 6000 में
मत्स्य 6000 एक स्वदेशी सबमर्सिबल है। इसे भारत ने समुद्र तल का अध्ययन करने के लिए तैयार किया है। मत्स्य 6000 समुद्र के पानी में लगभग 6000 मीटर नीचे जाकर कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स तथा अन्य कई दुर्लभ और बेशकीमती धातुओं की खोज करेगा। इसका परीक्षण अगले वर्ष 2024 में बंगाल की खाड़ी में किया जाएगा। इससे संबंधित कुछ तथ्य निम्न प्रकार हैं-
- मस्त्य 6000 की लंबाई 9 मीटर तथा चौड़ाई 4 मीटर रखी गई है। इसका कुल वजन लगभग 25 टन होगा।
- इसमें एक 2.1 मीटर व्यास का गोला होगा जिसमें एक साथ तीन लोग बैठ सकेंगे।
- इसकी बाहरी परत 80mm टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाई गई है जो समुद्र के अंदर के अत्यधिक दबाव को सहन कर सकती है।
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500 मीटर गहराई से शुरू होगा ट्रायल
इस पूरे मिशन की जिम्मेदारी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) को दी गई है। वर्तमान में अलग-अलग ऐंगल से इसकी डिजाईन को जांचा-परखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2024 की पहली तिमाही में मत्स्य 6000 का समुद्र में 500 मीटर गहराई पर परीक्षण किया जाएगा।